Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Oct 2016 · 4 min read

मन ईलू-ईलू बोले [ लम्बी तेवरी-तेवर चालीसा ] +रमेशराज

घोटाले मंत्री को प्यारे, लिपट पेड़ से बेल निहाल
छिनरे सुन्दर नारि ताकते खडे़ हुए हैं बम भोले। 1

अज्ञानी को मद भाता है, भला लगे मछली को ताल
गुड़ है जहाँ वहाँ पर चीटें लगे हुए है बम भोले। 2

थाने-हवालात कारा को गुण्डे समझ रहे ससुराल
बच्चे कार्टून फिल्मों में रमे हुए हैं बम भोले। 3

मोबाइल में ब्लू फिल्मों की चिप डाले नेता का लाल
जिसे देखने उसके साथी जुटे हुए हैं बम भोले। 4

चंदा को चाहे चकोरिनी, पास-दूर का नहीं सवाल
साँप युगों से चन्दन-लिपटे पड़े हुए हैं बम भोले। 5

बैठ गन्दगी मक्खी खुश है, भौंरा दिखे कमल की डाल
मधुशाला में धुत्त शराबी पड़े हुए हैं बम भोले। 6

तीन लोक से दुनिया न्यारी, जय-जय बोल बिहारी लाल
सारे गुण्डे भाँग घोटने लगे हुए हैं बम भोले। 7

सुन्दर नारि देख जो रीझे, नगरवधू कीने कंगाल
चाकू जैसे बदन फूल से गुदे हुए हैं बम भोले। 8

बच्चे सूँघ रहे कपड़े को मादक एक रसायन डाल
खेल-कूद से आज फासले बने हुए हैं बम भोले। 9

सत्ता की मधुमक्खी गुल से खूब रही मकरंद निकाल
नेता जन का खून चूसने जुटे हुए हैं बम भोले। 10

चापलूस अफसर को प्यारे बुनते तारीफों का जाल
कामचोर चमचागीरी पर तुले हुए हैं बम भोले। 11

रोज छुरी की धार निहारें, चाहे जिसको करें हलाल
जिधर देखिए उधर कसाई खड़े हुए हैं बम भोले। 12

मेंढक ताल बीच टर्राये, भरती जल में मीन उछाल
खतरा बनकर इनको बगुले डटे हुए हैं बम भोले। 13

गिद्ध चाहता लाश बिछी हों , बाज जीव पर भरे उछाल
नेता अब जनता के दुश्मन बने हुए हैं बम भोले। 14

कान्हा संग पूतना सोये विष अपने स्तन पर डाल
ममता के किस्से भी छल से भरे हुए हैं बम भोले। 15

जिन्हें न कभी तैरना आया, जिन्हें न पता भँवर का जाल
बिन नाविक नौका विहार को चढ़े हुए हैं बम भोले। 16

पण्डित को प्यारी है चोटी, मुल्ला को दाढ़ी के बाल
लम्बी-लम्बी दस्यु जटाएँ रखे हुए हैं बम भोले। 17

क्या होती गुरुता नहीं जाने, फिर भी गुरु हैं, गुरुघंटाल
ठग कबीर पर प्रवचन देने जुटे हुए हैं बम भोले।18

जनता ने चुनकर जो भेजा अब उस मंत्री का ये हाल
चोर-डकैतों को दरवाजे खुले हुए हैं बम भोले। 19

नकटा बोले सब नकटे हैं, वैश्या सबको कहे छिनाल
खल सज्जन को मल कहने में जुटे हुए हैं बम भोले। 20

कोई आकर डंडी मारे, कोई पत्थर रहा उछाल
सब कहते-‘फल आज पेड़ के पके हुए हैं बम भोले’। 21

कौन इन्हें मारेगा उठता जनता के मन एक सवाल
भस्मासुर की तरह आज जो बने हुए हैं बम भोले। 22

पण्डित चाहे दान-दक्षिणा पकवानों के सँग तर माल
साधु भोग के चक्कर में अब पड़े हुए हैं बम भोले। 23

वैरागी रागी बन बैठा ब्रह्मचर्य में रति को डाल
सन्यासिन भी मजा देह का चखे हुए हैं बम भोले। 24

वैद्य चाहता सब मरीज हों, बढ़े संक्रमण रोग बवाल
धन के चक्कर में धनवन्तरि पड़े हुए हैं बम भोले। 25

सोच रहे हम, पाँव विदेशी कब करते हैं हमें निहाल
हम उनको कालीन सरीखे बिछे हुए हैं बम भोले। 26

भेड़चाल का अजब दौर है सबकी है अब अंधीचाल
वे भी भेड़ दिखायी दें जो बचे हुए हैं बम भोले। 27

इनके चाबुक निर्दोषों की जमकर रोज उधेडें खाल
सत्ता वाले खल के साले बने हुए हैं बम भोले। 28

बने हुए सच के उपदेशक वे ही कंठी-माला डाल
जो अपनी सारी नैतिकता तजे हुए हैं बम भोले । 29

खेल रहे हैं नूराकुश्ती भोली जनता को भ्रम डाल
बेमतलब नेता बिजार-से भिड़े हुए हैं बम भोले। 30

जो अंधियारे में ले जाकर खींच रहे जज-जन की खाल
शिष्टाचार अधर पर उनके सजे हुए हैं बम भोले। 31

लोकतंत्र में हुआ लोक का जीना अब तो और मुहाल
छिनरों के छिनरे ही मुंसिफ बने हुए हैं बम भोले। 32

अजब हो रही महाआरती सबके हाथों में हैं थाल
लेकिन श्रद्धा वाले दीपक बुझे हुए हैं बम भोले। 33

इस सिस्टम के प्रति विरोध की मत रखना इनसे उम्मीद
इनके सारे किस्से रति से भरे हुए हैं बम भोले। 34

होगा ‘पप्पू’ पास नकल से, मुन्ना भाई भी हर साल
विद्यालय अब शौचालय से बने हुए हैं बम भोले। 35

गोबर से कीड़ा राजी है , सारे पाजी तम के यार
वैरागी भी माया-माया जपे हुए हैं बम भोले। 36

छोटा-सा गड्ढा भी जिनसे बड़ा मान लीजे हर हाल
मनरेगा के ताल इस तरह बने हुए हैं बम भोले। 37

कैसे हम उनको पहचानें काँटे का है यही सवाल
जिनके मुख पर कई मुखौटे लगे हुए हैं बम भोले। 38

लिखा गया तेवर चालीसा हर तेवर दो छंद सम्हाल
अपने भी अब ऐसे तेवर बने हुए हैं बम भोले । 39

खल को नहीं निबल को मारें, बस इतने ही हैं हम वीर
खस्सीपन में तर्क हमारे चुके हुए हैं बम भोले |। 40
……………………………………………………………………..
+रमेशराज,15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630

Language: Hindi
320 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रदुतिया
रदुतिया
Nanki Patre
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
Buddha Prakash
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
Ahtesham Ahmad
ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
ना जाने कौन से मैं खाने की शराब थी
कवि दीपक बवेजा
*तू बन जाए गर हमसफऱ*
*तू बन जाए गर हमसफऱ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*शंकर जी (बाल कविता)*
*शंकर जी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मरने से पहले ख्वाहिश जो पूछे कोई
मरने से पहले ख्वाहिश जो पूछे कोई
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
एक दिन में तो कुछ नहीं होता
एक दिन में तो कुछ नहीं होता
shabina. Naaz
रात के बाद सुबह का इंतजार रहता हैं।
रात के बाद सुबह का इंतजार रहता हैं।
Neeraj Agarwal
23/195. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/195. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटियां
बेटियां
Manu Vashistha
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
समय और स्वास्थ्य के असली महत्त्व को हम तब समझते हैं जब उसका
समय और स्वास्थ्य के असली महत्त्व को हम तब समझते हैं जब उसका
Paras Nath Jha
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
प्यार के लिए संघर्ष
प्यार के लिए संघर्ष
Shekhar Chandra Mitra
कुछ ख़ुमारी बादलों को भी रही,
कुछ ख़ुमारी बादलों को भी रही,
manjula chauhan
*दिल का दर्द*
*दिल का दर्द*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"गहरा रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ुमनाम जिंदगी
ग़ुमनाम जिंदगी
Awadhesh Kumar Singh
बेडी परतंत्रता की 🙏
बेडी परतंत्रता की 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कुछ लोग हेलमेट उतारे बिना
कुछ लोग हेलमेट उतारे बिना
*Author प्रणय प्रभात*
**
**
Suryakant Dwivedi
फितरत
फितरत
Anujeet Iqbal
अब तुझे रोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
Anil Mishra Prahari
कैसे एक रिश्ता दरकने वाला था,
कैसे एक रिश्ता दरकने वाला था,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पंछी और पेड़
पंछी और पेड़
नन्दलाल सुथार "राही"
कठपुतली ( #नेपाली_कविता)
कठपुतली ( #नेपाली_कविता)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
अधूरी
अधूरी
Naushaba Suriya
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
वाह ! मेरा देश किधर जा रहा है ।
वाह ! मेरा देश किधर जा रहा है ।
कृष्ण मलिक अम्बाला
Loading...