Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2017 · 1 min read

मन्दिर, मस्जिद नाम हैं मेरा , शिश झुकाने का करते फैरा।

मन्दिर, मस्जिद नाम हैं मेरा,,
शिश झुकाने का करते फैरा |
मन्दिर की पेढियाँ चढ जाने को,,
करते हैं मंदिर से रंग सवेरा ||
माँ- बाप से करते हैरा – फेरी,,
माँ बाप नहीं प्यारे, पत्नी प्यारी |
आँखों से परछाई भी न देखे बहू
जहाँ देखो वहाँ दुश्मन नारी की नारी ||

मन्दिर में पूजा करते हो तुम,,
बचपन में जिनके अधिन थे तुम |
आश्रम की धमकी सुनाकर के, ,
भगवान का दरवाजा खटखटाते तुम ||
माँ – बाप के पैर झुखे नही हो तुम, ,
मन्दिर का पाठ पढते रहते तुम |
लिज्जत हैं तुम पर इस दुनियां में,,
बैटे होकर कर्ज भुलते हो तुम ||

घर की मुर्त की सेवा की नहीं,,
मन्दिर से भी मेवा मिलेगा नही |
बचपन में जिसने पाठ पढ़ाया,,,
अब बुढापे में ज्ञान उपयोग नही||
दिन – दिन बढत अंजान रहते हो,,
केवल मंदिर का ही पाठ-पढते हो |
मन के मन्दिर को कभी जानना नही,
रणजीत क्यूं फल पाने को भटकते हो||

रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174927

Language: Hindi
1 Like · 437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
माता शबरी
माता शबरी
SHAILESH MOHAN
लहर तो जीवन में होती हैं
लहर तो जीवन में होती हैं
Neeraj Agarwal
एडमिन क हाथ मे हमर सांस क डोरि अटकल अछि  ...फेर सेंसर ..
एडमिन क हाथ मे हमर सांस क डोरि अटकल अछि ...फेर सेंसर .."पद्
DrLakshman Jha Parimal
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
पैगाम डॉ अंबेडकर का
पैगाम डॉ अंबेडकर का
Buddha Prakash
ड्यूटी
ड्यूटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*वधू (बाल कविता)*
*वधू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
अनिल कुमार
मैं
मैं
Ajay Mishra
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अगनित अभिलाषा
अगनित अभिलाषा
Dr. Meenakshi Sharma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
डॉक्टर रागिनी
"दरअसल"
Dr. Kishan tandon kranti
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
Harminder Kaur
नींव की ईंट
नींव की ईंट
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
होकर मजबूर हमको यार
होकर मजबूर हमको यार
gurudeenverma198
गरिमामय प्रतिफल
गरिमामय प्रतिफल
Shyam Sundar Subramanian
संसार चलाएंगी बेटियां
संसार चलाएंगी बेटियां
Shekhar Chandra Mitra
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
विवेकवान मशीन
विवेकवान मशीन
Sandeep Pande
इंटरनेट
इंटरनेट
Vedha Singh
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
लक्ष्मी सिंह
वर्तमान समय में संस्कार और सभ्यता मर चुकी है
वर्तमान समय में संस्कार और सभ्यता मर चुकी है
प्रेमदास वसु सुरेखा
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
👍👍👍
👍👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
.तेरी यादें समेट ली हमने
.तेरी यादें समेट ली हमने
Dr fauzia Naseem shad
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
कवि रमेशराज
कहार
कहार
Mahendra singh kiroula
Loading...