Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2019 · 4 min read

मनोरम प्यार का तराना

कॉलेज की जिंदगी का भी एक अलग ही आनंद है, इसी तरह की कुछ कहानी है, “श्रीधर और सुरभि” की । तो चलिए मैं आपको सबको ले चलती हूं उस दुनिया में जहां स्कूल की पढ़ाई खत्म होते ही ग्रेजुएशन के लिए प्रथम चरण कॉलेज ही होता है ।

श्रीधर का कॉलेज में आज पहला दिन था, इसलिए सायकल को ठीक जगह पर खड़ी करके वह दौड़कर कॉलेज पहुंचा और सीढ़ियों पर बैठकर आराम करने लगा । तभी विक्रम ने उस पर एक बाल्टी पानी डाल दिया और कहा-” मैं नए विद्यार्थी का सम्मान कुछ इसी तरह से करता हूं “। श्रीधर को गुस्सा तो बहुत आया पर उसने कुछ कहा नहीं । उसकी मां गांव में मेहनत मजदूरी करके यहां तक पढ़ाया था किसी तरह ताकि कॉलेज की पढ़ाई के साथ जीवन में एक नेक इंसान बन सके । श्रीधर पूरी तरह से गीला होकर घर पहूंचा, तो उसने अपनी मां से कहा” कि मुझे कॉलेज की पढ़ाई नहीं करना,” तो मां ने कहा – ” गुस्सा मत करो ” । कुछ दिन बाद कॉलेज में सभी तुम्हारे दोस्त बन ही जाएंगे । कुछ दिन बाद ऐसा ही हुआ, कॉलेज में श्रीधर के कई दोस्त बन गए ।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और कॉलेज का द्वितीय वर्ष प्रारंभ हुआ ही था कि ” एक नई लड़की का प्रवेश हुआ कॉलेज में और डॉक्ट‌‌‌र की पढ़ाई….. एमबीबीएस करने के लिए……..। जैसे ही उस लड़की का आना-जाना होता, विक्रम वही अपनी आदत के अनुसार कुछ न कुछ शरारती करता । वह लड़की बेचारी सहमी सी आती और जाती….ना वह किसी की कुछ बातें सुनती…. और तो और ध्यान भी नहीं देती ।

सब दोस्तों को उस लड़की का नाम जानने की बड़ी उत्सुकता, फिर पता चला उस लड़की के भैय्या पुलिस में बड़े अधिकारी हैं और अपनी बहन को एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण कराकर डॉक्टर बनाना चाहते थे ।

एक दिन श्रीधर ने उसके भैय्या से आखिर पूछ ही लिया ,” पता चला उसका नाम है रमा” जहां पहले रहते थे, वहां किसी रूद्र नामक लड़के से प्यार हो गया था और शादी की नौबत आने तक मालूम हुआ कि लड़के का चाल-चलन ठीक नहीं है । वो तो किस्मत अच्छी बोलो रमा की जो शादी के पूर्व पता चला । भैय्या ने कहा” तब से ऐसे ही गुमसुम सी, सहमी सी” रहने लगी, रमा । इसीलिए दाखिला कराया, कॉलेज में ताकि आगे की पढ़ाई भी कर लेगी और दिल लगा रहेगा दोस्तों के साथ ।

श्रीधर जब से रमा कॉलेज में आई थी, तभी से मन ही मन चाहने लगा था उसको, पर बोले कैसे? लेकिन आज जब रमा के बारे में जानने के बाद वह उसे और अधिक पर्याय करने लगा ।

फिर श्रीधर द्वारा अपने दोस्तों के साथ मिलकर कहीं पिकनिक मनाने की योजना या घूमने जाने की योजनाओं का सिलसिला शुरू हो गया । अब तो वह भी विक्रम के साथ मिलकर ऐसी शरारतें और मस्ती करता ताकि रमा कभी तो खिलखिला कर हंसे । “एक बार रमा ने डांट भी दिया,” मुझे मत परेशान क्यों, मेरे भैय्या पुलिस में अधिकारी हैं, शिकायत दर्ज कर दूंगी मैं……. आसानी से मान जाओ।

लेकिन एक दिन ऐसा कुछ होता है कि रमा जोर-जोर से हंसने लगती है ।
वे सब दोस्तों के साथ पिकनिक स्पॉट पर जाते हैं, जहां गीत-संगीत, अंताक्षरी के कार्यक्रम रखे जाते हैं ताकि रमा फिर अपने मूल स्वरूप में वापसी कर सकें ।
अंताक्षरी खेलते-खेलते श्रीधर गाता है, प्यार दिवाना होता है, मस्ताना होता है…… इतने में रमा की पारी आती है, तो पहले बहुत जोर से हंसने लगती है और…… फिर एकाएक शांत होते हुए……… हमें और जीने की चाहत ना होती, अगर तुम ना होते । सब दोस्तों को इतनी खुशी होती है कि आप उनके इस आनंद का अंदाजा लगा नहीं सकते हैं । आपस में सोचते हैं कि जो योजना बनाई, वह सफल हुुई ।

फिर उस दिन रमा खुलकर बातें भी करती है, श्रीधर से, क्यों कि अब वह समझ चुकी थी कि “जिंदगी एक ठोकर लगने से खत्म नहीं होती कभी ” हमें ही अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत करना है ।
श्रीधर भी रमा से कहता है,” मैं सच्चे दिल से प्यार करता हूं तुम्हें रमा………… हवाओं के झोंके साथ लहरा रहे हैं और मंद-मंद कोयल की कुहु से गुंजन हो रही है…….. रमा ने भी जवाब में कहा आपके इस मनोरम प्यार का तोहफा कबुल करती हूं सरकार………। बस शादी के पूर्व मेरी पढ़ाई पूरी कर लेने दिजीएगा ………….. श्रीधर ने भी कहा हां हां बिल्कुल मोहतरमा । हम तो केवल आपको जीवन जीने की कला सीखा रहे थे । आपको एक लड़के ने धोखा दिया….. दुनिया में सभी नहीं न होते । आप बेशक अपनी पढ़ाई पूरी किजीए, लेकिन पूरे जोश- खरोश के साथ, साथ ही हिम्मत के साथ डटकर हर परिस्थिति का सामना करना । मेरी तमन्ना है कि तुम ऐसे ही हंसते मुस्कुराते हुए अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल हो और अपने माता-पिता और भैय्या का नाम रोशन करो ।
इतने में रमा के भैय्या और श्रीधर की मां भी कॉलेज में आते हैं क्योंकि अभिभावकों को प्राचार्य ने मीटिंग हेतु बुलाया होता है । अपनी बहन रमा को हंसते हुए देखकर तो “भैय्या की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है ” और खुशी से गदगद होकर श्रीधर की मां से कहते हैं “आप धन्य हैं जो आपने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने बेटे को अच्छे संस्कार दिए । आज यह उसी का परिणाम है , इतने में श्रीधर के दोस्त विक्रम की भी आंखें खुल जाती है । सभी के सामने वह कहता है कि अब शरारत नहीं करेगा, लेकिन श्रीधर और रमा की सगाई मेरे घर पर होगी, इतना कहते ही…… श्रीधर और रमा एक दूसरे की आंखों में इशारों से बातें करने लगते हैं…….…. विक्रम ने धीरे से कहा……. मैंने सब तैयारी कर ली है ।

अब चलिए साथियों इनका टाईम तो आ गया…….. अब अपना टाइम आएगा………… विक्रम दोस्तों के साथ शरारत करते हुए झूमते हुए बोलता है ……….. ।

फिर पाठकों बताइएगा, कैसी लगी कहानी । मुझे आपकी आख्या का इंतजार रहेगा ।

आरती अयाचित

स्वरचित एवं मौलिक कहानी

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
~~बस यूँ ही~~
~~बस यूँ ही~~
Dr Manju Saini
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
किससे कहे दिल की बात को हम
किससे कहे दिल की बात को हम
gurudeenverma198
जीवन कभी गति सा,कभी थमा सा...
जीवन कभी गति सा,कभी थमा सा...
Santosh Soni
गज़ल
गज़ल
सत्य कुमार प्रेमी
सफ़र
सफ़र
Shyam Sundar Subramanian
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
VINOD CHAUHAN
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
DrLakshman Jha Parimal
रोजी रोटी
रोजी रोटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
कृष्णकांत गुर्जर
****शिक्षक****
****शिक्षक****
Kavita Chouhan
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
Kanchan Khanna
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
दुष्यन्त 'बाबा'
"हमदर्दी"
Dr. Kishan tandon kranti
कैसे बताऊं मेरे कौन हो तुम
कैसे बताऊं मेरे कौन हो तुम
Ram Krishan Rastogi
Stop getting distracted by things that have nothing to do wi
Stop getting distracted by things that have nothing to do wi
पूर्वार्थ
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आईने में अगर
आईने में अगर
Dr fauzia Naseem shad
कुछ पैसे बचा कर रखे हैं मैंने,
कुछ पैसे बचा कर रखे हैं मैंने,
Vishal babu (vishu)
2325.पूर्णिका
2325.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरी माटी मेरा देश🇮🇳🇮🇳
मेरी माटी मेरा देश🇮🇳🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#एक_और_बरसी
#एक_और_बरसी
*Author प्रणय प्रभात*
"निखार" - ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कभी कभी पागल होना भी
कभी कभी पागल होना भी
Vandana maurya
"चुलबुला रोमित"
Dr Meenu Poonia
एक कतरा प्यार
एक कतरा प्यार
Srishty Bansal
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
Loading...