Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jul 2021 · 2 min read

नीजि संस्थान

आज आधुनिकता में मनुष्य निसर्ग स्वभाव व्यवाहारिकता से दूर होते जा रहा है,
यही हर्ष और गौरव के साथ हुआ,
शहरी परिवेश के पर्व और उत्सव और मौज मस्ती
तरह तरह के ईमान बेचकर न जाने कैसे कैसे आयोजन हो रहे है. चकाचौंध में खो जाते हैं.
आजीविका इतनी जटिल हो गई,
घर में माता-पिता दोनों को काम करके खर्च पूरा करने पड़ते हैं, ताकि बच्चों को अच्छे संस्कार वा शिक्षा दिलवा सके, यहीं जिम्मेदारी में त्रुटि रह जाती है,
निवास-स्थान से दूर नामी गिरामी संस्था में दाखिला.
सुबह शाम के लिए स्कूल बस तक लद्दे हुए स्कूल बैग जैसे बच्चे नहीं माता-पिता को दोबारा पढना पड रहा हो.
बच्चों को अपाहिज बनाता है.
आते ही घण्टे भर बाद ट्यूशन और महीने में एक बार पी.टी.एम जिसमें रटे रटाये वाक्य.
आपका बच्चा बिल्कुल नहीं चल पा रहा है.
शरारतें भी कुछ ज्यादा कर रहा है.
हिंदी तो इसे बिल्कुल नहीं आती. आदि इत्यादि.

हमारा एक ही आग्रह होता है, कक्षा के अध्यापक से हम बच्चे को नियमित स्कूल भेज रहे हैं और समय पर फीस
ये सब आपकी जिम्मेदारी है,
तब जवाब मिलता है.
बच्चा स्कूल में सिर्फ़ छ: घण्टे रहता है.
बाकी समय आपके पास.

बात तो ठीक है.
आठ घण्टे स्कूल में दो घण्टे स्कूल बस में आठ घण्टे सोने के बचे छ: घण्टे उसमें ट्यूशन भी स्कूल की वजह से लगाना पडता है.
बच्चे खुद से अध्ययन, अध्यापन कार्य,
विषय के पुनरावलोकन कब करेगा.

नतीजन हर्ष और गौरव के मनोबल में गिरावट आने लगी
वह छोटे छोटे काम सहारे लेकर करने लगे. उनमें जैसे जज्बात है ही नहीं, सर्वांगीण विकास का अभाव स्पष्ट झलक रहा था.

ऐसे स्कूलों में चुनिंदा बच्चों को मौका मिलता है.
और उन्हीं के दम पर, ये संस्थान चलते रहते है.
आत्मनिरीक्षण के अभाव में बच्चों के मनोबल वाला क्षेत्र अछूता रह जाता है.

मनोबल के अभाव में वे विभिन्न मानसिक तनाव वा बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं.,तथ्य वा चीजों को छुपाना
मायूसी, मानसिक अवसाद, दोगला चरित्र, हठ करके चीजों को मनवाना आदि इत्यादि.

आखिर इन बच्चों का मनोबल कैसे लौट सकता है,
उनके बुद्धि और मानसिक स्तर का आकलन करके रूचि खोजकर, उनमें जज्बात भरकर,
तुम कर सकते हो,
और कर ही लोगे.
शाबाश !!!

उन्होंने खुद अपने मकसद तय किए.
और योजना बनाकर, उनको प्रारूप दिया.
उनमें मनोबल जाग गया और जिम्मेदारी संभाल ली.

माता पिता से उनको ये सुनकर अच्छा लगता है.
वैल डन गौरव
बैल डन हर्ष…
ये सब मनोबल के कारण हो पाया.

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

6 Likes · 8 Comments · 394 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
पूर्वार्थ
रोजी रोटी
रोजी रोटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पीक चित्रकार
पीक चित्रकार
शांतिलाल सोनी
बरस रहे है हम ख्वाबो की बरसात मे
बरस रहे है हम ख्वाबो की बरसात मे
देवराज यादव
ग़म-ए-दिल....
ग़म-ए-दिल....
Aditya Prakash
*ज्ञान मंदिर पुस्तकालय*
*ज्ञान मंदिर पुस्तकालय*
Ravi Prakash
तंज़ीम
तंज़ीम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दोपहर जल रही है सड़कों पर
दोपहर जल रही है सड़कों पर
Shweta Soni
फूलों की ख़ुशबू ही,
फूलों की ख़ुशबू ही,
Vishal babu (vishu)
23/33.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/33.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी की किताब
जिंदगी की किताब
Surinder blackpen
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
शेखर सिंह
साधक
साधक
सतीश तिवारी 'सरस'
लोग दुर चले जाते पर,
लोग दुर चले जाते पर,
Radha jha
विषय
विषय
Rituraj shivem verma
■एक टिकट : सौ निकट■
■एक टिकट : सौ निकट■
*Author प्रणय प्रभात*
उसको फिर उससा
उसको फिर उससा
Dr fauzia Naseem shad
स्वयंसिद्धा
स्वयंसिद्धा
ऋचा पाठक पंत
ज्ञानों का महा संगम
ज्ञानों का महा संगम
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जाने वाले साल को सलाम ,
जाने वाले साल को सलाम ,
Dr. Man Mohan Krishna
मौन जीव के ज्ञान को, देता  अर्थ विशाल ।
मौन जीव के ज्ञान को, देता अर्थ विशाल ।
sushil sarna
स्वच्छंद प्रेम
स्वच्छंद प्रेम
Dr Parveen Thakur
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
कवि रमेशराज
आज़ाद पंछी
आज़ाद पंछी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
लोकतंत्र में शक्ति
लोकतंत्र में शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
सौगंध
सौगंध
Shriyansh Gupta
आंसू
आंसू
नूरफातिमा खातून नूरी
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...