Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2016 · 1 min read

मनुष्यता नहीँ गयी

सूर्य अस्त की दिशा अतीव भा रही परन्तु
ध्यान दो विवेक नष्ट, रुग्णता नहीं गयी।
दिव्य शक्तियाँ विलुप्त भोग ही प्रधान रंग
खोज रुद्ध किन्तु वो अनन्तता नहीं गयी।
अर्थ प्राप्ति के निमित्त ही जियो नहीँ कदापि
ब्रह्मज्ञान हेतु प्राणबद्धता नहीं गयी।
ये प्रभाव है कवित्व शक्ति और छन्दबद्ध
काव्य का कि आज भी मनुष्यता नहीँ गयी।।
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

Language: Hindi
229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
Rajesh Kumar Arjun
प्रयास
प्रयास
Dr fauzia Naseem shad
यादें
यादें
Johnny Ahmed 'क़ैस'
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
// लो फागुन आई होली आया //
// लो फागुन आई होली आया //
Surya Barman
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
Vishal babu (vishu)
बैर भाव के ताप में,जलते जो भी लोग।
बैर भाव के ताप में,जलते जो भी लोग।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पल भर की खुशी में गम
पल भर की खुशी में गम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पहले प्यार में
पहले प्यार में
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
अंधविश्वास का पुल / DR. MUSAFIR BAITHA
अंधविश्वास का पुल / DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
3260.*पूर्णिका*
3260.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सूखी टहनियों को सजा कर
सूखी टहनियों को सजा कर
Harminder Kaur
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
अब हम रोबोट हो चुके हैं 😢
अब हम रोबोट हो चुके हैं 😢
Rohit yadav
ये जो नखरें हमारी ज़िंदगी करने लगीं हैं..!
ये जो नखरें हमारी ज़िंदगी करने लगीं हैं..!
Hitanshu singh
ये गजल नही मेरा प्यार है
ये गजल नही मेरा प्यार है
Basant Bhagawan Roy
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
💐प्रेम कौतुक-290💐
💐प्रेम कौतुक-290💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कल कल करती बेकल नदियां
कल कल करती बेकल नदियां
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बिछोह
बिछोह
Shaily
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सुनो - दीपक नीलपदम्
सुनो - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
शेखर सिंह
जुबां
जुबां
Sanjay ' शून्य'
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
टूटने का मर्म
टूटने का मर्म
Surinder blackpen
मन
मन
Sûrëkhâ Rãthí
Loading...