Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2020 · 2 min read

” मनहूस “

कड़कती दिसम्बर की रात घना कोहरा तभी अनीष का फोन बज उठा कंप्यूटर से ऊँगलियाँ रोक फोन उठा कर कान से लगाया और बोला क्या ? कहाँ ? मैं अभी आया कह उसने अपनी पत्नी को आवाज़ लगाई अनीताsss रसोई से बाहर आती अनीता बोली क्या है ? अरे भईया का ऐक्सीडेंट हो गया है मैं भाभी को लेकर जा रहा हूँ तुम मम्मी – पापा को कुछ मत बताना….वहाँ जाकर पहले देख लें तब उनको बतायेगें । दोनो जन चले गये थोड़ी देर में अनीष का फोन आया घबराने की बात नही है कोहर की वजह से ठीक से दिखाई ना देने के कारण खड़ी ट्रक के पीछे कार घुस गई थी लेकिन स्पीड धीरे होने के कारण भईया और दोनों दोस्तों को हल्की खरोंच भर आई है अब तुम मम्मी – पापा को बता दो । अनीता ने हिम्मत करके उन लोगों को एक्सीडेंट की बात बताई बेटे के एक्सीडेंट की बात सुन कर पहले तो दोनों लोग घबड़ाये पर जब ये सुना की सब ठीक है तो चैन आते ही मुँह से जहर उगलने लगे ” ना जाने किस मनहूस का पैर पड़ा है हमारे घर में जो ये आफत देखने को मिल रही है ” अनीता उनका इशारा समझ रही थी अभी दो महीने ही तो हुये थे उसके विवाह को , उनकी बातें सुन कर सोचने लगी कैसे दिवाली पर ताश खेलते वक्त पापा कहते थे ” अरे ये तो मेरी भाग्यशाली बेटी है मेरे पास बैठे और मैं जीतू ना ऐसा हो ही नही सकता ” उसने धीरे से कहा मम्मी जैसे अनीष ने बताया की दोनों गाड़ीयों को देख कर पुलिस कह रही थी की इसमें जो भी बैठा होगा बहुत ही बुरी तरह से घायल होगा , आप सोचिये हो सकता हो उस मनहूस की वजह से बहुत बड़ा एक्सीडेंट होने से बच गया दोनों लोगों के मुँह से अब ज़बान गायब थी ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/09/2020 )

Language: Hindi
2 Comments · 453 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
सियासत में
सियासत में
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
बंधे धागे प्रेम के तो
बंधे धागे प्रेम के तो
shabina. Naaz
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
पूर्वार्थ
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
ठहर जा, एक पल ठहर, उठ नहीं अपघात कर।
ठहर जा, एक पल ठहर, उठ नहीं अपघात कर।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2680.*पूर्णिका*
2680.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
Anil Mishra Prahari
आए गए महान
आए गए महान
Dr MusafiR BaithA
मेरी ख़्वाहिश वफ़ा सुन ले,
मेरी ख़्वाहिश वफ़ा सुन ले,
अनिल अहिरवार"अबीर"
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तू ही मेरी लाड़ली
तू ही मेरी लाड़ली
gurudeenverma198
गये ज़माने की यादें
गये ज़माने की यादें
Shaily
सावन आया
सावन आया
Neeraj Agarwal
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
उगते विचार.........
उगते विचार.........
विमला महरिया मौज
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
कलम के सिपाही
कलम के सिपाही
Pt. Brajesh Kumar Nayak
बाजारवाद
बाजारवाद
Punam Pande
सतत् प्रयासों से करें,
सतत् प्रयासों से करें,
sushil sarna
"अंकों की भाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
खुदाया करम इन पे इतना ही करना।
खुदाया करम इन पे इतना ही करना।
सत्य कुमार प्रेमी
नीला ग्रह है बहुत ही खास
नीला ग्रह है बहुत ही खास
Buddha Prakash
किस-किस को समझाओगे
किस-किस को समझाओगे
शिव प्रताप लोधी
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
Shweta Soni
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
Loading...