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23 Sep 2020 · 1 min read

मनहरण घनाक्षरी

?[19/09/2020 ]?
?मनहरण घनाक्षरी, ?
?मनहरण घनाक्षरी, ?
?प्रथम प्रयास?
?8,8,8,7 अंत लघु गुरु से?
(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)
प्रथम नमन करूँ, सौदामिनी शारदे को,
देना मुझे ज्ञान माँ मैं, बालक अज्ञान हूँ ।

दास तेरा है विकल, श्रम मेरा हो सफल,
मुझे दे आशीष माँ मैं, बड़ा परेशान हूँ ।।

हर लो माँ मेरा त्रास, बुद्धि का करो विकास,
भर दे प्रकाश अभी, थोड़ा मैं नादान हूँ ।

कविता व छन्द लिखूं, रसों का आनन्द लिखूं,
रात दिन पढ़के माँ, करता बखान हूँ ।।

हे जग जननी मात, दे दे मुझे थोड़ा साथ
ह्रदय में काव्य का निखार कर दीजिये ।

दुखों से तू तार दे, दोष सब संहार दे,
वन्दना माँ शारदे स्वीकार कर लीजिये।।

आसन ग्रहण कर, कृपा दृष्टि डाल कर
मंच का भारती माँ उत्थान आप कीजिये ।।

आपकी कृपा से सब, दुनियां में विज्ञ हुये,
मुझको को भी अपने, शरण कर लीजिये।

(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)
स्वरचित:-
अभिनव मिश्र अदम्य✍️
शाहजहांपुर, उ.प्र.
✷‿✷)(✷‿✷)(✷‿✷)(✷‿✷)✷‿✷

2 Likes · 2 Comments · 223 Views
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