मनहरण – गणपति गजानन (घनाक्षरी छंद)
गणपति गजानन ,विनती हमारी सुनो।
होती पहली पूजा है ,हम भी कराएंगे।।
माता गौरी देवा तोरी, तात शंकर आपके।
मूषक पे आप बैठो, मोदक चढ़ाएंगे।।
आरती उतारे हम, भारती के लाल हम।
जीवन अपना सारा,तुम पे लुटाएंगे।।
अनुनय तुम बिन,कौन है हमारा यहां।
चरणों को छोड़ कर, ओर कहां जाएंगे।।
राजेश व्यास अनुनय