Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2017 · 1 min read

मनभावन सावन


बूँदों का नृत्य
सोंधी मिट्टी महकी
हवा बहकी ।
#####################

मोर मचला
घन गाई गज़ल
नृत्य छलका ।
#######################

मोरनी मोर
घन घटा का शोर
मस्तानी भोर।
########################

कारे बदरा
लताओं का सेहरा
भीगे मनवा।
#########################

स्वाती की बूँदें
आसमान से कूदें
प्यास बुझा दें।

#######################

सावन आया
अवनी मन भाया
संतुष्टि लाया।
अपर्णा थपलियाल”रानू”
८.०७.२०१७

Language: Hindi
1256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
सत्य कुमार प्रेमी
दोहा
दोहा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
खेल और भावना
खेल और भावना
Mahender Singh
वक्त एक हकीकत
वक्त एक हकीकत
umesh mehra
Muhabhat guljar h,
Muhabhat guljar h,
Sakshi Tripathi
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
अनिल कुमार
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
ख़ान इशरत परवेज़
बदलती फितरत
बदलती फितरत
Sûrëkhâ Rãthí
इश्क मुकम्मल करके निकला
इश्क मुकम्मल करके निकला
कवि दीपक बवेजा
तेरी आमद में पूरी जिंदगी तवाफ करु ।
तेरी आमद में पूरी जिंदगी तवाफ करु ।
Phool gufran
"मोहे रंग दे"
Ekta chitrangini
जी20
जी20
लक्ष्मी सिंह
जो किसी से
जो किसी से
Dr fauzia Naseem shad
मकर संक्रांति पर्व
मकर संक्रांति पर्व
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
23/38.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/38.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
महाराष्ट्र का नया नाटक
महाराष्ट्र का नया नाटक
*Author प्रणय प्रभात*
सूरज की किरणों
सूरज की किरणों
Sidhartha Mishra
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"तवा और औरत"
Dr. Kishan tandon kranti
*अध्याय 9*
*अध्याय 9*
Ravi Prakash
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
The_dk_poetry
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हम तो फ़िदा हो गए उनकी आँखे देख कर,
हम तो फ़िदा हो गए उनकी आँखे देख कर,
Vishal babu (vishu)
महान् बनना सरल है
महान् बनना सरल है
प्रेमदास वसु सुरेखा
होली (होली गीत)
होली (होली गीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
* सुहाती धूप *
* सुहाती धूप *
surenderpal vaidya
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
नेमत, इबादत, मोहब्बत बेशुमार दे चुके हैं
हरवंश हृदय
Loading...