Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2020 · 1 min read

मधुमास के दिनों की याद आ रही है

दिगपाल छन्द
221 2122 221 2122
मधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।
महकी हुई फिजाएं, मनको लुभा रही है।

जब फूल-फूल तितली, खुशबू बिखेरती थी।
महकी हुई हवाएं, संवाद छेड़ती थी।
कोयल सदा वनों में, हैं राग प्रीत गाये।
मौसम वही सुहाना, मुझको सदा लुभाये।
महकी हुई धरा मन, मेरा लुभा रही है।
मधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।

भौंरे कली-कली पर, है राग गीत गाते।
मन में उमंग मेरे, कब सर्द अंत आते।
वो फूल देख सरसों, दिल ने उछाल मारी।
श्रृंगार आज सुंदर, लिख दूँ नई खुमारी।
हर डाल पेड़ पौधे, कलियाँ खिला रही हैं।
मधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।

चलती बयार ऐसी, कुछ तान छेड़ती हो।
लगती बहार मन में, रस राग घोलती हो।
देखो मिठास दिल में, मधुमास की भरी है।
है डाल-डाल मंजरी, हर आम की भरी है।
खिल के ‘अदम्य’ को यूँ कलियाँ चिढ़ा रही हैं
मधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।

■अभिनव मिश्र”अदम्य

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*सत्य ,प्रेम, करुणा,के प्रतीक अग्निपथ योद्धा,
*सत्य ,प्रेम, करुणा,के प्रतीक अग्निपथ योद्धा,
Shashi kala vyas
💐कुड़ी तें लग री शाइनिंग💐
💐कुड़ी तें लग री शाइनिंग💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शोर से मौन को
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
मेरी माटी मेरा देश भाव
मेरी माटी मेरा देश भाव
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"एक विचार को प्रचार-प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है
शेखर सिंह
गणपति अभिनंदन
गणपति अभिनंदन
Shyam Sundar Subramanian
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
बगुले तटिनी तीर से,
बगुले तटिनी तीर से,
sushil sarna
दीवाली
दीवाली
Mukesh Kumar Sonkar
3132.*पूर्णिका*
3132.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*सूनी माँग* पार्ट-1
*सूनी माँग* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
✍️फिर वही आ गये...
✍️फिर वही आ गये...
'अशांत' शेखर
करीब हो तुम मगर
करीब हो तुम मगर
Surinder blackpen
बचपना
बचपना
Satish Srijan
■ आज का मुक्तक...
■ आज का मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
मै मानव  कहलाता,
मै मानव कहलाता,
कार्तिक नितिन शर्मा
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
खून पसीने में हो कर तर बैठ गया
अरशद रसूल बदायूंनी
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
श्रीराम किसको चाहिए..?
श्रीराम किसको चाहिए..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
पूर्वार्थ
*पहले-पहल पिलाई मदिरा, हॅंसी-खेल में पीता है (हिंदी गजल)*
*पहले-पहल पिलाई मदिरा, हॅंसी-खेल में पीता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
प्रेम तो हर कोई चाहता है;
प्रेम तो हर कोई चाहता है;
Dr Manju Saini
"मधुर स्मृतियों में"
Dr. Kishan tandon kranti
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
Phool gufran
Loading...