मधुमालती छंद
#नमन_मंच
#विधा – मधुमालती छंद
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?#प्रथम_प्रयास_सादर_समीक्षार्थ?
मेरा कहाँ अब नाम है।
मुझसे भला क्या काम है।।
तेरे लिए चलता रहा।
मैं गम लिए जलता रहा।।
नजदीकियां मिटने लगी।
अब दूरियां बढने लगी।।
तुम दूर मुझसे हो चले।
अब मै लगूं किसके गले।।
यह पीर मन को बेधती।
तन कुलिस से है छेदती।।
था प्रेम ही मैनै किया।
इस प्रीत ने है क्या दिया।।
ये दिल लगाना काल है।
मृत्यु का दूजा नाम है।।
अब वरण इसका जो करे।
बिन मौत ही अब वो मरे।।
—-स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर),पश्चिमी चम्पारण, बिहार