मत कर ग़ुरूर प्यारे …..
वहृ:-
अरकान:- मस़तफ़इलुन फ़ऊलुन x2
2212 122 2212 122
मत फ़िक्र कर ए सजनी साजन तुझे मिलेगा।
गर चोंच दी है रब़ ने भोजन तुझे मिलेगा।।
अब आब़रू तेरी है तेरे ही हाथ सीते।
सीमा जो पार की तो रावण तुझे मिलेगा।।
मत ढूँढ यूँ तू रब़ को पत्थर की इन सिलो में।
हर दिल में वास जिसका भगवन तुझे मिलेगा।।
मत कर ग़ुरूर प्यारे किस चीज़ का गुमा है।
करले दया धर्म तूँ जन-धन तुझे मिलेगा।।
मत ज्ञान बाँट बन्दे उद्धव भी हार माने।
कर प्यार गोपियों सा मोहन तुझे मिलेगा।।
क्यों ‘कल्प’ खोजते हो खुशियां इधर उधर तुम।
दुखियों के कष्ट हर चितरंजन तुझे मिलेगा।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’