मत्त सवैया
यदि राम कृपा हो हम सब पर ,
चरणों में शीश झुकाते हैं।
शुचि भक्ति भाव में हम सब भर,
पुनि पुनि यह शीश नवाते हैं।
शबरी के बेर कृपा करके,
सँग लक्ष्मण राघव खाते हैं।
तब ऋषि मुनि सारे हाथ जोड़,
श्रुतियों की कथा सुनाते हैं।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव” प्रेम”