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20 Nov 2020 · 2 min read

मतिभ्रम

मतिभ्रम मनुष्य की वह मानसिक अवस्था है , जिसमें उसका विवेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष का विश्लेषण करने में असमर्थ पाता है , और प्रत्यक्ष को सत्य मानकर वह उसके अनुसरण के लिए बाध्य होता है ।
यह अवस्था उस दिवास्वप्न की भांति है , जिसके टूटने से उसे प्रत्यक्ष के पीछे छुपे कटु यथार्थ की अनुभूति होती है।
वर्तमान में यह अवस्था जनसाधारण में बहुतायत से पायी जा रही है । जिसका मुख्य कारण व्यक्तिगत चिंतन की कमी , एवं भीड़ की मानसिकता से प्रेरित मानस पटल पर विचारों की अधिकता है ,
जो सर्वसम्मति से लिए निष्कर्ष को सत्य मानने के लिए व्यक्तिविशेष को प्रेरित करती है।
यदि मानस पटल पर किसी बिंदु पर असहमति प्रकट करने की इच्छा होती है , तो वह भी विचारों के आदान-प्रदान में अपेक्षित सहयोग के अभाव में मुखर नहीं हो पाती , और सर्वकल्याणकारी भाव से मन से समझौता कर लिया जाता है।
स्वार्थपरक राजनीति , तथा धर्म एवं आस्था के नाम पर भ्रमित करने वाले तत्वों से वशीभूत होकर व्यवहार करने के लिए बाध्य होना मतिभ्रम होने का परिचायक है।
मतिभ्रम होने की दशा में व्यक्तिविशेष का स्वयं का विवेक शून्य हो जाता है , और उस पर निर्देशक द्वारा सम्मोहित विवेक हावी रहता है , जो उसके आचार विचार एवं व्यवहार को पूर्णरूपेण नियंत्रित करता है।
व्यक्तिविशेष की स्थिति एक यंत्र चालित मानव सी हो जाती है ,जो अपने स्वामी द्वारा नियंत्रित होता है।
आधुनिक युग में प्रसार एवं प्रचार के विभिन्न संचार माध्यमों फिल्म, टीवी ,इंटरनेट, सामाजिक संपर्क माध्यम फेसबुक , ट्विटर ,इंस्टाग्राम , यूट्यूब एवं अन्य सामाजिक पटल पर किसी भी घटना या विचार को कम समय में बहुतायत से प्रेषित कर भ्रम फैलाया जा सकता है। जो बड़ी संख्या में लोगों को विवेकहीन बना भ्रमित कर झूठी अफवाहों को फैलाकर , स्वार्थी तत्वों द्वारा अपने कुत्सित मंतव्य को सिद्ध करने में सहयोग प्रदान करता है।
इन सभी माध्यमों पर शासन का नियंत्रण ना होने से , बेरोकटोक घटनाओं एवं झूठी बातों को बढ़ा चढ़ा कर पेश करके , निरीह देशवासियों को भ्रमित किया जा रहा है ।
जिसके फलस्वरूप , आए दिन दंगे फसाद एवं धर्मांधता प्रेरित हिंसा फैलाकर देश में अराजकता उत्पन्न की जा रही है।
जिससे राष्ट्र की संपत्ति एवं व्यक्तिगत जान और माल की हानि हो रही है। जिसे रोकने के प्रयास करना अतिआवश्यक है।
अतः देशवासियों के लिए आवश्यक है , कि वे स्वार्थी तत्वों द्वारा मतिभ्रम होने से बचकर रहें , और व्यक्तिगत चिंतन का प्रयास करें , तथा भीड़ की मनोवृत्ति से बचकर व्यक्तिगत निष्कर्ष लें , एवं अपने व्यवहार को नियंत्रित करें।
इस प्रकार उन सभी स्वार्थी तत्वों को समय रहते उजागर कर , उन्हें उनके कुत्सित मंतव्यों में सफल न होने दें ।
तभी हम देश में परस्पर सौहार्द एवं शांति स्थापित कर देश की उन्नति में सहयोग प्रदान कर सकेंगे।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 4 Comments · 319 Views
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