Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2017 · 1 min read

मतलब

” मतलब ”
—————

मतलब……
केवल स्वार्थ नहीं !
लेकिन यह……..
कोई परार्थ नहीं |
बहुत से मायने हैं
इस मतलब के !
जैसे कि —
अर्थ
तात्पर्य
समझ
स्वार्थ
स्वहित !!
यदि स्वार्थ और
स्वहित ही है…
गूढ़तम रहस्य
मतलब के
तो इसमें इंसान
का क्या दोष ?
क्यों कि —
सत्व-रज-तम….
इन्हीं गुणों से
इंसान का रूप बदलता है |
काम-क्रोध-मद-लोभ
जैसे कषायों और
चित्त-वृत्तियों की प्रबलता
मनुज के……..
वास्तविक स्वरूप को
आवरण और
विक्षेप शक्ति द्वारा
ढ़क दी जाती हैं
तो मतलब का
मायावी स्वरूप
प्रस्फुटित होता है
जो उत्कर्ष को
अपकर्ष में !
विकास को
पतन में !
आदि को
अंत में !
मानुष को
अमानुष में
और सत्य को
असत्य में
परिवर्तित करके
इंसान से उसकी
इंसानियत…….
छीन लेता है
और लहराता है
परचम इस….
मतलब का ||
——————————
– डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
1 Like · 585 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
Neelam Sharma
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
Shubham Pandey (S P)
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
प्रेमदास वसु सुरेखा
दाता
दाता
Sanjay ' शून्य'
कुछ मत कहो
कुछ मत कहो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बेटी हूँ माँ तेरी
बेटी हूँ माँ तेरी
Deepesh purohit
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
आर.एस. 'प्रीतम'
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
Jitendra Chhonkar
तुम्हारा चश्मा
तुम्हारा चश्मा
Dr. Seema Varma
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
मन में पल रहे सुन्दर विचारों को मूर्त्त रुप देने के पश्चात्
Paras Nath Jha
नींदों में जिसको
नींदों में जिसको
Dr fauzia Naseem shad
*पीछे-पीछे मौत, जिंदगी आगे-आगे (कुंडलिया)*
*पीछे-पीछे मौत, जिंदगी आगे-आगे (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■ जीवन सार...
■ जीवन सार...
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Harish Chandra Pande
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
Anand Kumar
कितने बदल गये
कितने बदल गये
Suryakant Dwivedi
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
Manisha Manjari
"आत्मकथा"
Rajesh vyas
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
किस्मत भी न जाने क्यों...
किस्मत भी न जाने क्यों...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सच तो रंग होते हैं।
सच तो रंग होते हैं।
Neeraj Agarwal
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
तलाशती रहती हैं
तलाशती रहती हैं
हिमांशु Kulshrestha
ज्ञानमय
ज्ञानमय
Pt. Brajesh Kumar Nayak
माता के नौ रूप
माता के नौ रूप
Dr. Sunita Singh
अब गांव के घर भी बदल रहे है
अब गांव के घर भी बदल रहे है
पूर्वार्थ
कोशिस करो कि दोगले लोगों से
कोशिस करो कि दोगले लोगों से
Shankar N aanjna
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
gurudeenverma198
Loading...