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20 Dec 2020 · 1 min read

मतलबी इंसान से तू प्यार मत कर

ग़ज़ल….

मतलबी इंसान से तू प्यार मत कर
इस तरह घर में सरे दीवार मत कर….

हो नहीं सकता हितैषी वो यकीनन
आ गया सच सामने इनकार मत कर…

बो रहा विष जो अमन में बन लुटेरा
ख़ैरियत गर चाहते दरबार मत कर…

कर सकें जो ना सुरक्षित बेटियों को
मुल्क में ऐसी कहीं सरकार मत कर..

जो हमेशा से बदलता मुख रहा हो
बात का उसके जरा इतबार मत कर…

साथ देते दुर्दिनों में सिर्फ अपने
चंद पैसे के लिए टकरार मत कर ….

है सियासत पर हमें भी फ़ख्र ‘राही’
पर फ़रेबी बन यहाँ व्यापार मत कर…

डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)

2 Likes · 3 Comments · 384 Views
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