मजहब ही बैर सिखाता
मजहव ही सिखाता
आपस में बैर रखना
अपने को सच्चा कहना
इंसानियत खत्म करना ।
दंगे करना
हत्या करना
आस्था पर चोट कर
धर्म के लिए अधर्म करना ।
आत्मा कहो एक
इंसान में करो भेद
जाति बना लो
वर्ण बना लो
धर्म शास्त्रों से सिद्ध करा लो ।
अपना धर्म महान
दूजा धर्म शैतान
अपना कहो पवित्र
दूजे पर करदो मल मूत्र ।
परमात्मा सच्चा
उससे जुड़ने का
अपने ही धर्म में रास्ता
बाकी सब कुकर्म
अपना धर्म सत्कर्म ।
बाँट लो भगवान को
अनदेखे हर नाम को
जो ना माने करदो हत्या
ऐसे ही होती धर्म की रक्षा ।
धर्म जोड़ता मूढ़ से
ना दर्शन से ना ज्ञान से
तकनीकी अज्ञान से
जुड़ जाओ कर्मकांड से ।
धर्म का सच्चा रूप
कर्मकांड मुख्य स्वरुप
खून बहाओ प्राणी का
जेब भरो धर्म अज्ञानी का ।
खूब फैलाओ झूठ
चमत्कारों की लूट
भूखा सोवे जीव
मेवा खावे अनदेखा निर्जीव ।
ना कर्म करो
ना प्रयास करो
भाग्य पर केवल आस करो
होगा तू बलवान
धर्म बदलेगा विधान ।
मचादो हाहाकार
करदो हथियारों की बौछार
आदेश बता दो एक का
गला रेत दो अनेक का ।
बदनाम किया भगवान को
बिखेर दिया इंसान को
जोड़ लिए इबादत खाने
समाज को बहकाने ।
प्रत्येक उसकी भाषा है
प्रत्येक उसकी सन्तान
जीव-निर्जीव में वासी है
वो ही सर्वव्यापी है ।
पहचानो अपने आप को
प्रेम-कष्ट के एहसास को
खून-आंसूं एक रूप हैं
सभी धर्म एक स्वरुप हैं ।
हर धर्म से बड़ा इंसान
यही ईस्वर की पहचान
मानवता करो महान
प्रेम करो इंसान ।