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12 May 2018 · 1 min read

मजबूर बालपन

काफिया –अता
रदीफ़ ….कौन है

वो कुड़ा बीनें देखता कौन है
बालपन में यहाँ खेलता कौन है

वो रहता यहाँ हर घड़ी शोक में
बोल दो ऐसे दुख झेलता कौन है

हांथ उसके कहां किताब व कलम
भावनाओं का मोल जानता कौन है

क्या हुआ जो ये बचपन मिला खाक में
आज किसको पड़ी पूछता कौन है

यूं हिकारत से इनको न देखो यहाँ
आज अपना इन्हें मानता कौन है

स्वप्न इनके भी होंगे कहो या नहीं
राज ए दिल अब यहाँ खोलता कौन है

ओढ ली बालपन ने यूं जिम्मेदारियां
बालपन इस तरह लूटता कौन है
~~~~~~~
✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

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