Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2018 · 2 min read

मग वैद्यकी

मग वैद्यकी
: दिलीप कुमार पाठक
बाबा बाबा थे। अब स्वर्गीय केशव पाठक जी वैद्य। सामने काँसे का लोटा बाबा का याद दिला रहा है। उसपर लिखा हुआ है श्री केशव पाठक जी वैद्य को सप्रेम ! तब मैं गोह में रहता था। बाबूजी गोह थाने के एडडी गांव में पढ़ाते थे। जो हमीदनगर और तेयाप के बीच में पड़ता है। सुविधा के ख्याल से हम गोह में रहते थे। गोह बस्ती में। एक पंडित जी थे उन्हीं के मकान में। गांव जो हमारा जहानाबाद जिले में पड़ता है कखौरा। हम होली-दशहरे में जाया करते थे। एकबार बाबा को साथ लेते आये। सदा के लिए अपने साथ रहने के लिए। बाबू जी को विद्यालय के लिए एक ब्लैकबोर्ड मिला था बड़ा सा लकड़ी का, काला पेंट किया हुआ। बगल में एक लाला जी रहते थे। फ़ौज से रिटायर थे। बोर्ड लिखने में माहिर थे। ब्लैकबोर्ड को सुन्दर सा साइनबोर्ड बना दिए। आयुर्वेदिक औषधालय / श्री केशव पाठक जी वैद्य। रोगी लोग आने लगे थे। बाबा उपचार में लग गए थे। एकदिन एक हमीदनगर के एक ठठेरा आये। “वैद्य जी हैं। ” हाँ भाई हैं। कहिये क्या कष्ट है।” “बाबा जी देख ही रहे हैं। ”
वे स्वेत कुष्ठ से पीड़ित थे करीब पांच साल से। उपचार की चाहत थी, थोड़ी लाज-शरम भी थी।
“घबराइये नहीं ठीक हो जाइएगा चार-पांच महीने में। ”
“तब तो बाबा हम आपको ……………।”
उनका दवाई चलने लगा था। इसी बीच बाबा का मन गोह से भर गया था और बाबा कखौरा बापस आ गए थे।
चार महीने बाद ठठेरा महोदय दरवाजा ठकठकाए ,” वैद्य जी वैद्य जी ”
“वो तो अब ……।”
“घर गए हैं, है न। मेरा तो सबकुछ बदल गया है। सब पहले जैसा वापस आ गया है। कबतक आएंगे? उनके लिए कुछ बनाकर लाये हैं अपने हाथ से।”
क्या है भाई ? हम अचंभित थे। बाबूजी पढ़ाने गए थे। घर में माँ और हम भाई बहन थे।
अपनी गठरी नीचे रख, उसे खोल, उसमें से चमचमाता हुआ एक काँसे का लोटा
उन्होंने निकाला। जिसपर मेरे बाबा का नाम अंकित था।

Language: Hindi
218 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पीने वाले पर चढ़ा, जादू मदिरापान (कुंडलिया)*
पीने वाले पर चढ़ा, जादू मदिरापान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ऐ दिल सम्हल जा जरा
ऐ दिल सम्हल जा जरा
Anjana Savi
है ख्वाहिश गर तेरे दिल में,
है ख्वाहिश गर तेरे दिल में,
Satish Srijan
"अवसाद"
Dr Meenu Poonia
मित्रता
मित्रता
Mahendra singh kiroula
खोटे सिक्कों के जोर से
खोटे सिक्कों के जोर से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
मैंने  देखा  ख्वाब में  दूर  से  एक  चांद  निकलता  हुआ
मैंने देखा ख्वाब में दूर से एक चांद निकलता हुआ
shabina. Naaz
फटा जूता
फटा जूता
Akib Javed
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
ruby kumari
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खंड 6
खंड 6
Rambali Mishra
मिले तो हम उनसे पहली बार
मिले तो हम उनसे पहली बार
DrLakshman Jha Parimal
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
बिल्ली की तो हुई सगाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
2390.पूर्णिका
2390.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
यह तो आदत है मेरी
यह तो आदत है मेरी
gurudeenverma198
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
सत्य कुमार प्रेमी
"कैसे कह दें"
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-148💐
💐अज्ञात के प्रति-148💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सेंगोल की जुबानी आपबिती कहानी ?🌅🇮🇳🕊️💙
सेंगोल की जुबानी आपबिती कहानी ?🌅🇮🇳🕊️💙
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अपने
अपने "फ़ास्ट" को
*Author प्रणय प्रभात*
गंवारा ना होगा हमें।
गंवारा ना होगा हमें।
Taj Mohammad
33 लयात्मक हाइकु
33 लयात्मक हाइकु
कवि रमेशराज
नमन सभी शिक्षकों को, शिक्षक दिवस की बधाई 🎉
नमन सभी शिक्षकों को, शिक्षक दिवस की बधाई 🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अंतरंग प्रेम
अंतरंग प्रेम
Paras Nath Jha
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
Dr fauzia Naseem shad
Loading...