मंहगाई की मार से
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एक कुंडलियां छंद
विषय: मॅहगाई एवम् बेरोजगारी
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मॅहगाई की मार से,जनता है बेहाल।
घर का बिगड़ा है बजट,घर-घर है बदहाल ।।
घर-घर है बदहाल,लोग चिंतित हैं सारे।
रुजगारी छिनवाय,आज फिरते हैं मारे।।
कहै”अटल”कविराय,अजब संकट घिर आई।
कोरोना की मार,और पाछे मॅहगाई।