Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2021 · 1 min read

मंजिल पर ही निशाना

मंजिल पर ही निशाना (ग़ज़ल)
*** 2222 1222 12 ****
***********************

लाचारी में सहारा चाहिए,
दिल से वादा निभाना चाहिए।

गरमी में तो नहाते हैं सभी,
सरदी में भी नहाना चाहिए।

खुशियों में मुस्कराते हैं सभी,
गम में भी मुस्कराना चाहिए।

मौका मिलता सुहाना ही कभी,
खुश होने का बहाना चाहिए।

मनसीरत फायदा होता नहीं,
मंजिल पर ही निशाना चाहिए।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
फोन
फोन
Kanchan Khanna
ज़िंदगी क्या है ?
ज़िंदगी क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
हम यहाँ  इतने दूर हैं  मिलन कभी होता नहीं !
हम यहाँ इतने दूर हैं मिलन कभी होता नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
स्पर्श
स्पर्श
Ajay Mishra
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
पुनर्जागरण काल
पुनर्जागरण काल
Dr.Pratibha Prakash
प्रणय निवेदन
प्रणय निवेदन
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
"दिमागी गुलामी"
Dr. Kishan tandon kranti
लज्जा
लज्जा
Shekhar Chandra Mitra
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मसरूफियत बढ़ गई है
मसरूफियत बढ़ गई है
Harminder Kaur
#राम-राम जी..👏👏
#राम-राम जी..👏👏
आर.एस. 'प्रीतम'
💐 Prodigy Love-19💐
💐 Prodigy Love-19💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
gurudeenverma198
ऐ वतन
ऐ वतन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
Varun Singh Gautam
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जज़्बा है, रौशनी है
जज़्बा है, रौशनी है
Dhriti Mishra
कर रही हूँ इंतज़ार
कर रही हूँ इंतज़ार
Rashmi Ranjan
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप
इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप
Suryakant Dwivedi
रिश्ते का अहसास
रिश्ते का अहसास
Paras Nath Jha
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*Author प्रणय प्रभात*
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
कवि रमेशराज
ताप जगत के झेलकर, मुरझा हृदय-प्रसून।
ताप जगत के झेलकर, मुरझा हृदय-प्रसून।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*अपने  शहर  का आज का अखबार देखना  (हिंदी गजल/गीतिका)*
*अपने शहर का आज का अखबार देखना (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
भारत मां की पुकार
भारत मां की पुकार
Shriyansh Gupta
Whenever things got rough, instinct led me to head home,
Whenever things got rough, instinct led me to head home,
Manisha Manjari
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...