* ! * मंच की तलाश थी * ! *
मंच की तलाश थी
ह्रदय में एक ही प्यास थी
विचार फैलाऊ मै भी अपने
हो पूरे मेरे भी सपने
दिन प्रतिदिन यही तो आस थी
मंच की तलाश थी
विचारों की तरंग
और दौड़ी
जोड़ी मैंने कोड़ी कोड़ी
लेखन कला ही मेरे पास थी
मंच की तलाश थी
उठने वाले चिंतन से
विमर्श करूंगा
कहां कौन सा रंग सजेगा
हर्ष से भरूंगा
साहित्य पीडिया मुझको
आ रही रास् थी
मंच की तलाश थी
पड़ेगा कोई तो गढ़ेगा कोई तो
विचार अपने भी नए नए
दिन अच्छे लौटे
दुर्दिन शायद बीत गए
“अनुनय ” लिखूंगा – साहित्य को सींचूंगा
माली हूं
बस बीज की तलाश थी
**मंच की तलाश थी ** !!!!!!!!
राजेश व्यास अनुनय ३१/०८ /२०२०