Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2020 · 1 min read

मंगलमय यह देश कहां मिलने वाला !

मंगलमय यह देश कहां मिलने वाला !
_________________

शुचि , दान ,धर्म-सत्कर्म सार का , श्रेय लिए जीवन स्तम्भ ;
क्षमा, दया, धृति ,त्याग ज्ञेय , निष्कंटक ! नहीं कुटिल दंभ !

विद्वता , बल-विक्रम का सिन्धु अपार, सर्वत्र सार ज्ञेय है –
दीपित विधेय जग-जीवन प्रवाह में , रहा अजेय-दुर्जेय है।

पुण्य रश्मियां , शुभ्र संस्कृति, वैदिक स्वर सींचित विहान ;
धवल-धार, मूर्तिमनोरम , हे जन्मभूमि, श्रद्धावनत् प्रणाम !

सुधन्य प्रवीर , हे धर्मप्राण ! हे तपोभूमि के पुण्यधाम ;
सप्तसिन्धु सभ्यता के, उदात्त दर्शन , तूझे प्रणाम !

आज पग-पग पर खण्डित धर्म-धार , सर्वत्र दाह के दु:सह स्वर ;
बड़ी विकट है कालखण्ड , खण्डित भूमण्डल प्रहर-प्रहर !

नदी नाले सिसक रहे , पर्वत-मिट्टी-रेत- पठार ;
सिसक रहे हैं आत्मभाव , न्याय, अहिंस्र, सत्य धार !

भू से खण्डित शैल-शिखर से , सरिता से सागर से ;
घीरे जड़ताओं से , आक्रांताओं से , आच्छादित आहत स्वर से ।

खण्डित सत्कर्म सधर्म प्रखर , शील स्नेह अंतरण से ;
संस्कृति टूट रही द्वीपांतर से , खण्डित नभश्चरण से !

हे धन्य वीर ! यह प्रबल प्रताप, अग्निस्फुलिंग जिला दे ;
मंगलमय यह पुण्य प्रकल्प, भारत को भव्य बना दे ।
अग्नि की लपटें कराल हों , दुर्धर्ष नृत्य रचा दे ;
आक्रांताओं को कर स्तम्भित , धवल-धार रचा दे ।

भू के मानचित्र पर अंकित , सब तिमिर रोष हटाकर ;
विस्तृत विशाल नेत्रों को – भू-नभ तक फैलाकर ।

शत्रु दल में हा-हाकार मचे , पुरा घोष शांति का उठे स्वर ;
धर्म दीप हों सुदीप्त प्रखर , सुदीप्त सनातन भारत भास्वर ।

मंगलमय यह देश धीर ! पुनः कहां मिलने वाला ;
शुभ्र संस्कृतियों पर क्रूर आक्षेप को , कौन यहां सहनेवाला ?

यही सोचकर वीर बलिदानी ! बार-बार मरना होगा ;
स्वाभिमानी स्तम्भों पर , आघात् नहीं सहना होगा ।

✍? आलोक पाण्डेय ‘विश्वबन्धु’

भाद्रपद शुक्ल द्वितीया ।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 320 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
शक्ति राव मणि
जब होंगे हम जुदा तो
जब होंगे हम जुदा तो
gurudeenverma198
हारो मत हिम्मत रखो , जीतोगे संग्राम (कुंडलिया)
हारो मत हिम्मत रखो , जीतोगे संग्राम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अपने हाथ,
अपने हाथ,
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
ओसमणी साहू 'ओश'
मानव पहले जान ले,तू जीवन  का सार
मानव पहले जान ले,तू जीवन का सार
Dr Archana Gupta
उम्मीद
उम्मीद
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
Keshav kishor Kumar
बादल और बरसात
बादल और बरसात
Neeraj Agarwal
दोस्ती.......
दोस्ती.......
Harminder Kaur
"मनाने की कोशिश में"
Dr. Kishan tandon kranti
ये तलाश सत्य की।
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari
चमत्कार को नमस्कार
चमत्कार को नमस्कार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
💐प्रेम कौतुक-458💐
💐प्रेम कौतुक-458💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
दिल के अहसास बया होते है अगर
दिल के अहसास बया होते है अगर
Swami Ganganiya
मेरा अभिमान
मेरा अभिमान
Aman Sinha
मित्र बनाने से पहले आप भली भाँति जाँच और परख लें ! आपके विचा
मित्र बनाने से पहले आप भली भाँति जाँच और परख लें ! आपके विचा
DrLakshman Jha Parimal
" यकीन करना सीखो
पूर्वार्थ
जब से हैं तब से हम
जब से हैं तब से हम
Dr fauzia Naseem shad
★SFL 24×7★
★SFL 24×7★
*Author प्रणय प्रभात*
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Anup kanheri
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Kabhi kitabe pass hoti hai
Kabhi kitabe pass hoti hai
Sakshi Tripathi
चाहती हूँ मैं
चाहती हूँ मैं
Shweta Soni
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...