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10 Sep 2020 · 1 min read

भ्रम

भ्रम
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शुभम बारहवीं का छात्र था।देर रात तक पढ़ता रहता था।क्योंकि परीक्षा अब सिर पर थी।कमरे में वो अकेले पढ़ता सोता था,जिससे मम्मी पापा को व्यवधान न हो।कई दिनों उसे महसूस हो रहा था कि कोई परछाईं खिड़की पर आती है और खुद को यमराज बता उसको बुलाती है।
इस कारण पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगता था।
आखिरकार एक दिन उसनें अपने मम्मी पापा से अपने इस डर के बारे में बताया।तब उसकी मम्मी घबरा गईं,लेकिन पापा ने दोनों को हौसला दिया।
फिर शुभम को समझाया कि तुम विज्ञान के विद्यार्थी होकर भी ऐसी बातों से डरते हो।ये सब तुम्हारा भ्रम है।
आज जब तुम्हें ऐसा महसूस हो बिना डरे तुम उसके पास जाना, तुम्हारा भ्रम दूर हो जायेगा।क्योंकि वहाँ तो कोई होगा ही नहीं।
आज रात उसने वैसा ही किया और कमाल हो गया कि वहाँ तो सचमुच कोई नहीं था।अपनी संतुष्टि के लिए उसनें तीन दिन तक यही क्रम दोहराया।
अब वह खुश और संतुष्ट था।पापा के हौसले ने उसका भ्रम और परछाईं का डर दूर कर दिया।
✍सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
1 Like · 394 Views
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