Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2018 · 2 min read

भोर हुई वो घर से निकला..

भोर हुई वो घर से निकला ,
जग सारा जब सोया था ।
तन उसके दो गज का गमछा,
शिक़वे न किसी से करता था ।

सुबह से लेकर दो पहर तक,
रहता वो खलियानों में,
दो जून के खाने को,
बस आता है वो दरम्यानों में ।
इक-इक दमड़ी लगी खेत में,
रहता न पास एक धेला है ,
अपने बच्चों की खातिर,
वो बहता रहत अकेला है ।।
भोर हुई वो घर से निकला ……

कभी वो रहता कड़क ठंड में,
कभी है गर्मी का जलजला ,
कभी रहता मदहोश वारिश मैं,
हर सुख-दुख वो यूँ ही सहता।
न रही शिक़ायत उसे किसी से,
रहता सुखी सुखी जीवन में,
करता रहत वो यूँ बेगारी,
बेगारी का मूल न उसको मिला है ।।
भोर हुई वो घर से निकला………

हर दिन रहता उलझन में,
घरबार चलेगा अब कैसे,
फसल आपदा में हुई बर्बाद ,
ये कर्ज अब कैसे निकलेगा ।
सोच क्या रही होगी उसकी,
चला क्यों उसने ऐसा दाँव,
रही न उसकी हस्ती है,
न रहा वो शिक़वे करने वाला ।।
भोर हुई वो घर से निकला ………..

रह गई उसकी याद चमन में,
जिस चमन का वो रखवाला था,
पंछी उड़ते रहत बगिया में,
अब बाग भी वो अनजाना था ।
इस भोर में अब ना वो रौनक है,
ना है वो पहले से चमक,
उड़ गई चमक उस बगिया की,
जिसका था वो रखवाला ।।
भोर हुई वो घर से निकला…………

भोर हुई वो घर से निकला ,
जग सारा जब सोया था ।
तन उसके दो गज का कपड़ा,
शिक़वे न किसी से करता था ।।

©® आर एस “आघात”©®
9457901511

Language: Hindi
2 Likes · 488 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तू तो होगी नहीं....!!!
तू तो होगी नहीं....!!!
Kanchan Khanna
ख्वाबों में मेरे इस तरह आया न करो,
ख्वाबों में मेरे इस तरह आया न करो,
Ram Krishan Rastogi
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
आईने झूठ तो बोलेंगे नहीं
आईने झूठ तो बोलेंगे नहीं
Ranjana Verma
फिर जनता की आवाज बना
फिर जनता की आवाज बना
vishnushankartripathi7
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
Dr Archana Gupta
■ आज का दोहा...
■ आज का दोहा...
*Author प्रणय प्रभात*
राखी प्रेम का बंधन
राखी प्रेम का बंधन
रवि शंकर साह
बसंत (आगमन)
बसंत (आगमन)
Neeraj Agarwal
2538.पूर्णिका
2538.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हँसकर गुजारी
हँसकर गुजारी
Bodhisatva kastooriya
कभी सब तुम्हें प्यार जतायेंगे हम नहीं
कभी सब तुम्हें प्यार जतायेंगे हम नहीं
gurudeenverma198
सुबह की पहल तुमसे ही
सुबह की पहल तुमसे ही
Rachana Jha
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
manjula chauhan
मंजिल नई नहीं है
मंजिल नई नहीं है
Pankaj Sen
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*
Ravi Prakash
प्रियवर
प्रियवर
लक्ष्मी सिंह
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
नव लेखिका
फितरत
फितरत
Akshay patel
दूरियों में नजर आयी थी दुनियां बड़ी हसीन..
दूरियों में नजर आयी थी दुनियां बड़ी हसीन..
'अशांत' शेखर
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Sakshi Tripathi
विलोमात्मक प्रभाव~
विलोमात्मक प्रभाव~
दिनेश एल० "जैहिंद"
किसान,जवान और पहलवान
किसान,जवान और पहलवान
Aman Kumar Holy
💐प्रेम कौतुक-540💐
💐प्रेम कौतुक-540💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लिखें और लोगों से जुड़ना सीखें
लिखें और लोगों से जुड़ना सीखें
DrLakshman Jha Parimal
कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
कवि दीपक बवेजा
माँ
माँ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...