Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2019 · 1 min read

भोजपुरी बिरह गीत

आज कुछ बिशेष मित्र लोगन क आग्रह पर एगो नया दुलहिन क उलाहना के रूप में भोजपुरी बिरह गीत प्रस्तुत करे क कोशिस करत बानी इहे आशा से की आप सभे लोगन के पसंद आई, चुकी हई हमार प्रथम प्रयास बा ओहि से आप लोगन से करजोर विनती बा की अगर कउनो त्रुटि होई त ओके हमार संज्ञान में जरूर डालब जा…..🙏🏻

.

जनतीन जे बाबूजी हम, उनकर करनीया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

मेंहदी न छूटल हाथें, गइले पियऊ छोड़के,
केसे कहीं की कइसन, सपना रहली जोड़के,
रतिया काटें छाला डाले, लगली चंदनिया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

डाहें ले एक त छुट्टी, मिलत नइखे बोल के,
कीमती समइयां हमर, जाए बिना मोल के,
अइहन त घुरिहन हितई, लेईके संघतिया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

छोटकी के करे नाही देईम, चाहे सर धुन ल,
चाही नाही फौजी जीजा, पापा बात सुन ल,
हमहि अघाईल बानी सब, सह सह रहनिया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

सुखवा नसीब नाहि, होला खाली धन से,
साथ रहे जब परिवार, सब खुशी मन से,
निक लागे तीज त्योहार, तबही समनिया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

संगे शिमला, कश्मीर, जयपुर, घूमे जइतीन,
नया नया शहर देखी के, खूबे सुख पइतीन,
चिद्रूप खाली देवें झांसा, माने ना कहनिया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

जनतीन जे बाबूजी हम, उनकर करनीया।
फौजी क बनतीन नाही, कबो दुल्हिनियाँ।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०७/०२/२०१९)

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 309 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल के सभी
दिल के सभी
Dr fauzia Naseem shad
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
देश अनेक
देश अनेक
Santosh Shrivastava
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नारदीं भी हैं
नारदीं भी हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मम्मास बेबी
मम्मास बेबी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-515💐
💐प्रेम कौतुक-515💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कण-कण में श्रीराम हैं, रोम-रोम में राम ।
कण-कण में श्रीराम हैं, रोम-रोम में राम ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"सपनों का सफर"
Pushpraj Anant
संगीत
संगीत
Vedha Singh
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
Kuldeep mishra (KD)
जय हो कल्याणी माँ 🙏
जय हो कल्याणी माँ 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मां रिश्तों में सबसे जुदा सी होती है।
मां रिश्तों में सबसे जुदा सी होती है।
Taj Mohammad
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
प्रेमदास वसु सुरेखा
वह फूल हूँ
वह फूल हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak
जाने के बाद .....लघु रचना
जाने के बाद .....लघु रचना
sushil sarna
संत गोस्वामी तुलसीदास
संत गोस्वामी तुलसीदास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना
Keshav kishor Kumar
तितली
तितली
Manu Vashistha
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Neeraj Agarwal
क्या देखा है मैंने तुझमें?....
क्या देखा है मैंने तुझमें?....
Amit Pathak
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
आर.एस. 'प्रीतम'
गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा
गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
■स्वाधीनों के लिए■
■स्वाधीनों के लिए■
*Author प्रणय प्रभात*
तेरी हुसन ए कशिश  हमें जीने नहीं देती ,
तेरी हुसन ए कशिश हमें जीने नहीं देती ,
Umender kumar
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
छैल छबीली
छैल छबीली
Mahesh Tiwari 'Ayan'
Loading...