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31 Aug 2021 · 2 min read

भेड़चाल।

मैं उत्तराखण्ड परिवहन की जनरल बसों में तब से सफ़र करता आया हूँ, जबसे मुझे गाँव से बाहर (शहरों) में जाने का मौका मिला, और मुझे भलीभाँति याद है परिवहन के वो दिन जब वो अपने यात्रियों का खयाल इस क़दर रखते थे मानो मेहमान हों। क्योंकि प्रत्येक यात्री को काली प्लास्टिक की पन्नियां दी जाती थी ताकि कोई यात्री उल्टियाँ करें तो उनकी सीटें और गाड़ी की खिड़कियाँ गंदी न हों और वो पन्नी को मुंह पर लगाकर उसी में उल्टी करे।
देखा जाय तो बेहतरीन स्कीम थी वो बगल वाले को भी नहीं जगाना पड़ता भरी नींद से वो भी मात्र खिड़की से झांककर उल्टी करने के लिए।धीरे-धीरे परिवहन विभाग ने कई बदलाव किए कुछेक सराहनीय रहे और बाकी बचे हुवे राम भरोसे।
हाँ, बसों में अब लेडीज कंडक्टर नज़र आते हैं, यहाँ भी सरकार ने महिलाओं को इज्जत देते हुवे उन्हें प्राथमिकता तो दे दी है मगर इस तरह का कार्य करने को उन महिलाओं को मजबूर कर दिया जो कंडक्टरी कर रहे हैं। कार्य ऐसा जिसे मर्द भी करने को तैयार नहीं होते, वो बात दूसरी है कि बेरोजगारी के अभाव में ऐसा उन्हें करना पड़ रहा है, वेल एजुकेटेड युवा यहाँ तक कि मास्टर डिग्री से लेकर पीएच-डी वाले तक कंडक्टरी करने को तरस रहे हैं, क्योंकि नौकरी सरकारी है।
पानी की बोलत रखने के लिए हरेक सीट के पीछे एक जाला हुआ करता था, अब उत्तराखंड परिवहन के किसी भी बस में वो जाला नज़र नहीं आता। हालात ये हैं कि किसी ने दो सीटों के बीच बने गैप में अपनी पानी वाली बोतल अड़ा दी और फिर क्या था हो गई देखा-देखी भेड़ चाल तो है ही अपने इंडिया में उसके पीछे वाले ने भी ऐसा ही किया जैसा आगे वाले ने कर रक्खा है। ऐसा निरंतर तब तक चलता रहा जब तक बस की लास्ट रो की अंतिम सीट खत्म नहीं हो जाती।
सरकारी डिपार्टमेंट कोई भी हो भ्रष्ट तो है ही किसी न किसी रूप में और किया भी हम ही लोगो ने है, क्योंकि इन भ्रष्ट डिपार्टमेंटों में कहीं न कहीं आपके भाई-बंधु या मेरे या तीसरे शख्स के ही भाई-बन्धु होंगे जो भ्रष्ट कार्यों को अंजाम देते हैं।।
जब तक हम अपने नैतिक मूल्यों को नहीं समझेंगे उनका पतन करने की जगह संवारेंगे/समृद्ध नहीं करेंगे तब तक ये दशा बनीं रहेगी, हरेक इंसान अगर दूसरों की बुराइयों की जगह उसमें वांछित अच्छाइयों गिनाना शुरू न कर दें, जब तक इंसान खुद की गलती को गलत कहना शुरू न कर दे, जब तक इंसान भले को भला बुरे को बुरा स्वीकारना शुरू न कर दे तब तक हमारा समाज श्रेष्ठ नहीं हो सकता।
✍️Brij

Language: Hindi
Tag: लेख
258 Views
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