भूल तो होती रहे इंसान से
भूल तो होती रहे इंसान से
पर खफा सा वो रहे भगवान से
उम्र में छोटा हो हमसे या बड़ा
सीख लेना चाहिए विद्वान से
कामयाबी अपने’ चूमे जब कदम
दूर रहना चाहिए अभिमान से
फ़र्ज़ अपने जो किये पूरे नहीं
क्यों वही उम्मीद है संतान से
अंधविश्वासी कभी भी मत बनो
सत्यता को तोल लो विज्ञान से
वक़्त ही अपना पराया क्या हुआ
हो गए अपने सभी अंजान से
काम अच्छे भी करें कुछ ‘अर्चना’
पुण्य बस मिलते नही हैं दान से
डॉ अर्चना गुप्ता