भीतरी टूटन
भीतर कहीं मेरे
गहरी टूटन हैं पर
होंठो पर मैं मुस्कान लिए
हर समय आप सभी के सामने
बिखेरती रहती हूँ प्यारी सी मुस्कुराहट
ये झूठा मुस्कुराना भी गर छोड़ दूं तो
झूठा दिखावा नहीं किया गर तो
मेरे गहरे दर्द कितनी वेदना पहुचायेंगे
कुरेद कुरेद कर मेरे ढके घाव
एक बार फिर से हरे हो जायेगे
पड़ जायेंगी उसमे पस रूपी दर्द पीड़ा
ग़मों के घाव बिन छुए ही छोड़ देती हूँ
ओर मुस्कुराती हुई मंजु आप सामने पाते हो
नमक के घर बेहिसाब होते है जरा जगह मिली
पीड़ा भयंकर देता है, पीड़ा असहनीय पीड़ा
भूल अपनी गहरी टूटन को आइए आप भी
साथ दीजिए मेरा मुस्कुराहट में
एक बार सिर्फ,गमो को छोड़
मुस्कुराते है साथ मिल