गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
💐प्रेम कौतुक-489💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इस धरा पर अगर कोई चीज आपको रुचिकर नहीं लगता है,तो इसका सीधा
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
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धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
पितृ दिवस की शुभकामनाएं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दूर हमसे वो जब से जाने लगे हैंं ।
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यूएफओ के रहस्य का अनावरण एवं उन्नत परालोक सभ्यता की संभावनाओं की खोज
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं,l
हमें उम्र ने नहीं हालात ने बड़ा किया है।
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त