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12 Jan 2020 · 1 min read

भीगी भीगी हैं फलके

भीगी भीगी हैं पलकें
————————-
आँसुओं से नम आँखें
भीगी भीगी सी पलकें

गीले गुलाबी रुखसार
रूखा रूखा व्यवहार

सुर्ख सूखे सूखे ओष्ठ
अविकसित सा कोष्ठ

पक्षाघात मारा शरीर
टूटी फूटी सी तकदीर

बन्द दुकान सी जुबान
जिन्दगी बनी दास्तान

बस फसाद ही फसाद
स्वाद बन गए अवसाद

बिगड़ी बिगड़ी चाल
हाल हो गया बदहाल

बदले बदले हैं हालात
बुरे दिनों की शुरुआत

काला नहीं है बीच दाल
काली हुई है सारी दाल

खो गया स्वाभिमान
टुट गए सारे अरमान

बिखर गए देखे सपने
बिछुड़ गए सब अपने

यह हसर यूं ही नहीं हैं
दिल खफा यूं ही नहीं है

ये सिला है बेवफाई का
तुझ से मिली जुदाई का

तेरी जफा का असर है
रही नहीं कोई कसर है

तूने किया विस्वासघात
दिल उसी से है आघात

मैं हूँ अब भी तेरी मुरीद
जीवन में रहेगी उम्मीद

सुखविंद्र सुधरेंगे हालात
कभी तो होगी मुलाकात

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
481 Views
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