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23 Jul 2017 · 1 min read

भाषा समक अलंकार

राम के अनेक नाम, राम के अनेक धाम,
राम के अनेक काम, सेंट परसेंट में।
राम की लहर कभी बन के कहर चली,
शहर शहर गाँव छाई अरजेंट में।
राम ने बनाया काम फैल गया तामझाम,
अब नहीं आयें राम दिल के करेंट में।
एक राम को बिठाला हमने सिंहासन पै,
एक राम बेचारे पड़े हुए हैं टेंट में।।

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