**भाव सब के प्रति– आप के खिलाफ!**
नजदीक भी तुम्हें बिठाएंगे।
राज दिलों के खुलवाएंगे।
छोड़ दोगे ,वह महफिल मित्रों जब आप।
वक्तव्य शुरू हो जाएंगे ।।
आप के खिलाफ।
आपके पीछे से आपका ,पोस्टमार्टम करते जाएंगे।।
बैठते हो जिनके बीच, मान लेना यह सीख।
आपकी सादगी सरलता का ,वही मखोल उड़ाएंगे।।
दिखेंगे ऐसे जैसे ,आपके लिए ही जीते हैं।
मौका मिला यदा-कदा तो ,सबक आपको सिखाएंगे।।
ख्याति आपकी फैलने ना पाए, जहां जहां वे जाएं।
आपकी कमजोरियों को, बढ़ा चढ़ाकर गिनाएंगे आएंगे।।
हम तो यारा, बस एक ही गीत गाएंगे।
भाव सब के प्रति अनुनय।
समरसता का ही अपनाएंगे।।
राजेश व्यास अनुनय