भावभीनी श्रद्धांजलि (नानी)
उरतल से धन्यवाद काव्यांचल यह मौका प्रदान करने के लिए। नानी ने मुझे पाल पोस कर बड़ा किया,, हमारे कुशल भविष्य के लिए प्रत्येक मुसीबत का सामना किया पर हमें उन मुसीबतों का अहसास तक नही होने दी (मेरे नाना और मामा नही है, माँ मेरी उनकी अकेली संतान थी) बड़े लाडो से मुझे पाला और जब सेवा करने का मेरा समय आया उससे पहले ही वह स्वर्ग सिधार गई।
मेरा दुर्भाग्य उस समय ही एम.ए का फाइल परीक्षा होने के कारण मैं उनका अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाया। आज तक मन पे यह बोझ था ,
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विधा—- गीत (16/12)
रचना—-??
#मुखड़ा
नेह सुधा मुझपर बरसा मुख, मोड़ गई क्यों नानी?
आज बिलखता जग में मुझको, छोड़ गई क्यों नानी?
#अंतरा
भोजन लेकर पीछे – पीछे, भगती मुझे खिलाती।
गाय पालती मेरे खातिर,मुझको दुग्ध पिलाती।।
घट मेरा वह आशीषों का, फोड़ गई क्यों नानी?
नेह सुधा मुझपर बरसा मुख, मोड़ गई क्यों नानी?
माँ ने हमको जन्म दिया पर, तुमने ही था पाला।
दूर रहा हर दुख से मैं तो, पालन पोषण आला।।
पालन प्रश्रय का वह आशा, तोड़ गई क्यों नानी?
नेह सुधा मुझपर बरसा मुख, मोड़ गई क्यों नानी?
नेह मिला बदले उसके मै, कुछ भी ना दे पाया।
अंतिम दर्शन तक को नानी, कहाँ समय से आया।।
छोड़ हमें ईश्वर से नाता , जोड़ गई क्यों नानी?
नेह सुधा मुझपर बरसा मुख, मोड़ गई क्यों नानी?
हर सुख दुःख सहकर है पाला,तनिक नहीं घबराईं।
कलम सींच कर वृक्ष बनाया,फल कब तू चख पाई।।
याद करूँ जब लाड तुम्हारे, नयन भरे क्यो पानी?
नेह सुधा मुझपर बरसा मुख, मोड़ गई क्यों नानी?
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#घोषणा
मैं [पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’] यह घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा प्रेषित रचना मौलिक एवं स्वरचित है।
[पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’]
स्थान:- मुसहरवा (मंशानगर)पश्चिमी चम्पारण, बिहार