भारत की माता
तरलता भी रहे मन में, जिगर फौलाद हो जाये ।
बने गाँधी मगर कुछ तो, भगत आजाद हो जाये।
यही बस चाह रखती है, सभी भारत की मातायें-
विवेकानन्द के जैसी, उसे औलाद हो जाये ।
विनय बाली सिंह।
तरलता भी रहे मन में, जिगर फौलाद हो जाये ।
बने गाँधी मगर कुछ तो, भगत आजाद हो जाये।
यही बस चाह रखती है, सभी भारत की मातायें-
विवेकानन्द के जैसी, उसे औलाद हो जाये ।
विनय बाली सिंह।