Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2018 · 1 min read

भारत की फुलवारी के फूल

हे भारत की फुलवारी के फूल ,
हे भारत रत्नों के मूल ! छोड़े जा रहे इन डालियों को ,
अनन्त मीलों मील दूर ! जिन्होने औरों के लिए जिया ,
जीवन भर औरों के आँशू पीया ! किया नहीं जीवन का मोल ,
कलम उनकी जय बोल ! जीवन जीया राष्ट्र के खातिर ,
त्यागा अपना कुटुम्बकं लक्ष्यं प्यार ! मानों युं भूल गयें मत,मजहब अडिंग हुए जब धर्म कर्तव्य के पथ ,
निरन्तर दुर्धित करते गये,अनुचित,अधर्म,अन्याय का रथ ! जीवन भर किया कण-कण दान , प्रकृति नियमानूसार सो गये , दे महान अभिमान ! शत्-शत् आघातों को सह कर मांगा नहीं स्नेह मुह खोल , कलम आज इनकी जय बोल !!
((मेरा उन भारतीयों फूलों को कोटि-कोटि प्रणाम ))

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 481 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धरा स्वर्ण होइ जाय
धरा स्वर्ण होइ जाय
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"जीवन की सार्थकता"
Dr. Kishan tandon kranti
Fantasies are common in this mystical world,
Fantasies are common in this mystical world,
Sukoon
संस्कारों की रिक्तता
संस्कारों की रिक्तता
पूर्वार्थ
कल की चिंता छोड़कर....
कल की चिंता छोड़कर....
जगदीश लववंशी
अंकित के हल्के प्रयोग
अंकित के हल्के प्रयोग
Ms.Ankit Halke jha
💐Prodigy Love-15💐
💐Prodigy Love-15💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
2691.*पूर्णिका*
2691.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीने के तकाज़े हैं
जीने के तकाज़े हैं
Dr fauzia Naseem shad
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ऐ सुनो
ऐ सुनो
Anand Kumar
प्रेम पल्लवन
प्रेम पल्लवन
Er.Navaneet R Shandily
चलो...
चलो...
Srishty Bansal
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
आर.एस. 'प्रीतम'
जब निहत्था हुआ कर्ण
जब निहत्था हुआ कर्ण
Paras Nath Jha
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोस्ती के नाम
दोस्ती के नाम
Dr. Rajeev Jain
जय श्री गणेशा
जय श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Nothing is easier in life than
Nothing is easier in life than "easy words"
सिद्धार्थ गोरखपुरी
झूठ बोलते हैं वो,जो कहते हैं,
झूठ बोलते हैं वो,जो कहते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
शायरी
शायरी
डॉ मनीष सिंह राजवंशी
संस्कार मनुष्य का प्रथम और अपरिहार्य सृजन है। यदि आप इसका सृ
संस्कार मनुष्य का प्रथम और अपरिहार्य सृजन है। यदि आप इसका सृ
Sanjay ' शून्य'
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मित्रता-दिवस
मित्रता-दिवस
Kanchan Khanna
Loading...