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12 Jul 2019 · 2 min read

भारत का अभिमान बने।।

हम भी कर्तव्य परायणता का,
ले सीख देश की शान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

उद्घोष हो भारत माता की,
जय हिंद चमन का गान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

ये मेरी लेखनी लिखी नही,
है रचना रचित बिधाता की।
धैर्य धरो मैं गाता हूँ अब,
गीत सैन्य शौर्य के गाथा की।।

हम न कहें और तुम न सुनो,
तो बात ये कौन बताएगा।
अपने भारतीय सेना का,
दम खम को कौन सुनाएगा।।

विद्यालय में पाठ नही हो,
तो इनका कैसे सम्मान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

मैं चाहता केवल यही पूछना,
उन छैल छबीले बाँको से।
विजय दिवस जो भूले बैठे,
वेलेंटाइन के झूठे खाँको से।।

कारगिल के वो परमवीर,
योगेंद्र को कैसे जानोगे।
अब्दुल हमीद के तोपो की,
गर्जन कैसे पहचानोगे।।

हम कर्म करें चाहे कोई,
पर राष्ट्रप्रेम ज्ञानवान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

फिल्मी सितारों के ठुमको पे,
ताल मिलाने वाले सुनो।
की कैसे फड़कते है बाजू,
जय हिंद के चीत्कारों से सुनो।।

इनके आँधी के वेग का भी,
थोड़ा सा तुम भी पता करो।
जो जीवन न्योक्षावर तुम पे,
न उनसे कोई खता करो।।

राजनीति की बात नही,
कैसे जनता में पहचान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

भारत माता की जयकारों संग,
जब फौजी रण में कूदता है।
सर्वदा शक्तिशाली का नारा,
तब तब अम्बर तक गूँजता है।।

फिर दुश्मन थर थर कांपते है,
जो जन जनता को क्लांत करें।
संगीन पे टांग के सर उनका,
पल में आतंक को शांत करें।।

हरपल है चाह यही “चिद्रूप”,
तनमन सम्बल इंसान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

उद्घोष हो भारत माता की,
जय हिंद चमन का गान बने।
इस अहले वतन का बच्चा बच्चा,
भारत का अभिमान बने।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २६/०७/२०१८ )

Language: Hindi
1 Like · 425 Views
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