Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2017 · 4 min read

भारतीय संस्कृति की विशेषता तथा बचाने के उपाय

” भारतीय संस्कृति की विशेषता तथा बचाने के उपाय ”
—————————————————–
” संस्कृति ” एक ऐसी ऐतिहासिक सांस्कृतिक , भौगोलिक , दार्शनिक और नीतिगत मानवीय व्यवस्था है , जिसमें हम अपने जीवन की सार्थकता उसके प्रतिमान , व्यवहार के तरीके ,रीति-रिवाज, विचार एवं अभिव्यक्ति , सामाजिक मूल्यों , परम्पराओं , मानवीय क्रियाकलापों और आविष्कारों को समाहित रखती है | चूँकि भारत भूमि आदि-मानव की कर्मभूमि रही है , अत : भारतीय संस्कृति अपने उद्भव से ही अमूल्य निधि के रूप में अपने परम्परागत स्वरूप में अपनी निरन्तरता बनाए हुए है | यहाँ पाषाणकालीन संस्कृति से लेकर आधुनिक संस्कृति की सभी विशेषताऐं विद्यमान हैं | भारतीय संस्कृति पर यदि विहंगम दृष्टि डाली जाए तो हम पाते हैं कि हमारी संस्कृति विविधता में एकता को समाहित किये हुए है | यहाँ न केवल हिन्दू संस्कृति की बहुलता है , अपितु मुस्लिम , बौद्ध , जैन , पारसी , सिक्ख और ईसाई संस्कृति का भी अद्भुत संयोग देखने को मिलता है | भारतीय संस्कृति विविध विषयों जैसे- दर्शन , इतिहास , भूगोल , समाजशास्त्र , मानवशास्त्र इत्यादि से तादातम्य संबंध स्थापित किये हुए है | यहाँ कि भौतिक और अभौतिक संस्कृति नायाब और सर्वश्रेष्ठ है | यहाँ की संस्कृति ने प्राकृतिक और सांस्कृतिक पर्यावरण को अपने भीतर रचा-बसा रखा है , तभी तो भारत “विश्वगुरू ” के पद पर सुशोभित है |

भारतीय संस्कृति की विशेषताऐं : ~

भारतीय संस्कृति अपने आप में अनूठी और विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है | इसमें अनेक विशेषताऐं विद्यमान हैं जो कि निम्नवत हैं —
परम्परागत विशेषताऐं
———————————–
१. प्राचीनता — प्राचीनता से तात्पर्य है कि हमारी संस्कृति में आदिकालीन और वैदिकयुगीन संस्कृति के साथ-साथ रामायण और महाभारत कालीन संस्कृति की विशषताऐं मौजूद हैं |
२. निरन्तरता :~भारतीय संस्कृति का स्वरूप सतत् और निरन्तर गतिशील प्रकृति का रहा है | यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रतिस्थापित होती रही है ,जो कि निरन्तर गतिमान है |
३. ग्रहणशीलता :~ भारतीय संस्कृति में मूल तत्वों की प्रधानता तो है ही , इसके साथ ही यह दूसरी संस्कृति से भी कुछ न कुछ ग्रहण करती रही है , जैसे – मुगल संस्कृति का ग्रहण |
४. वर्ण व्यवस्था :~ वर्ण व्यवस्था भारतीय संस्कृति की मूलभूत विशेषता और केन्द्रीय धुरी है | इस व्यवस्था के अन्तर्गत समाज को चार वर्णों में बाँटा गया है – ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र | दूसरे शब्दों में वर्ण व्यवस्था श्रम विभाजन की सामाजिक व्यवस्था का ही दूसरा नाम है |
५. आश्रम व्यवस्था :~ कर्म को सर्वोपरि स्थान प्रदान करते हुए भारतीय समाज में आश्रम व्यवस्था का विधान किया गया है | यह वह व्यवस्था है जिसमें सामाजिक क्रियाकलापों और निर्धारित कर्तव्यों को प्राकृतिक प्रभाव और गुणों के आधार पर विविध समूहों में विभाजित किया जाता है |
५. संयुक्त परिवार प्रणाली :~ संयुक्त परिवार प्रणाली हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई एक अनूठी प्रणाली है , जो परिवार के समस्त सदस्यों को एकसूत्र में बाँधे रखती है | इस प्रणाली में बच्चों का मूलभूत विकास श्रेष्ठ रूप से होता है , जो कि जरूरी भी है |
६. पुरूषार्थ :~पुरूषार्थ उस सार्थक जीवन-शक्ति का योग है जो कि व्यक्ति को सांसारिक सुख -भोग के बीच अपने धर्म पालन के माध्यम से मोक्ष की राह दिखलाता है | भारतीय संस्कृति और दर्शन में मानव के लिए चार पुरूषार्थ निर्धारित किये गये हैं – धर्म ,अर्थ ,काम और मोक्ष |
७. संस्कार : ~ संस्कार का अर्थ है – परिशुद्धि | भारतीय हिन्दू संस्कृति में सोलह संस्कारों को बताया गया है | जबकि अन्य धर्मों में भी संस्कारों का प्रचलन है |
८. विविधता में एकता :~ विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की मूलभूत विशेषता है | भारत भूमि पर अनेक प्रकार की भौगोलिक , आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताऐं विद्यमान होने के बावजूद भी संस्कृति में मूलभूत एकता पाई जाती है |
९. आध्यात्मिकता और भौतिकता का समन्वय : ~ भारतीय संस्कृति में मूलत : आध्यात्मिकता और भौतिकता का समन्वय पाया जाता है ,जो कि मानवता के लिए श्रेष्ठ है |
“आधुनिक विशेषताऐं”
——————————–
वैसे तो भारतीय संस्कृति में परम्परागत विशेषताओं की बाहुल्यता है ,जो कि निरन्तर गतिशील है , परन्तु वर्तमान में इसमें कुछ आधुनिक विशेषताओं का संगम हुआ है ,जो कि अग्रलिखित हैं —
१. वर्ग व्यवस्था का उद्भव
२. संस्कृतिकरण
३. पर-संस्कृतिग्रहण
४. पश्चिमीकरण
५.आधुनिकीकरण
६. वैश्वीकरण
७. उदारीकरण
८. निजीकरण
९. तकनीकीकरण
१०. लोकतंत्रीकरण

“भारतीय संस्कृति को बचाने के उपाय”
—————————————————
चूँकि वर्तमान में कुछ असामाजिक तत्वों के कारण भारतीय संस्कृति पर प्रहार हो रहा है जैसे – घुसपैठ ,भ्रष्टाचार, घोटाले ,बलात्कार, अपहरण,आतंकवाद ,असहिष्णुता ,चोरी -डकैती इत्यादि-इत्यादि | अत : भारतीय संस्कृति के मूल स्वरूप -“वसुधैव कुटुम्बकम” की पुनर्स्थापना के लिए कुछेक प्रयास करने अतिआवश्यक है जो इस प्रकार हैं —
१. संयुक्त परिवारों को प्राथमिकता देना |
२. वैदिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना |
३. संस्कारों की पुनर्स्थापना |
४.नारी शिक्षा को बढ़ावा देना |
५. निर्धनता का उन्मूलन |
६. पर-संस्कृतिग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से दूर रहना |
७. भौतिक और अभौतिक संस्कृति में सामंजस्य स्थापना |
८. बेरोजगारी उन्मूलन
९. आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना |
१० साहित्य द्वारा संस्कृति का संरक्षण और प्रसारण |
११. भ्रष्टाचार उन्मूलन |
१२. अपराधों की रोकथाम |
१३. प्रकृति-संस्कृति-मानव की प्रगाढ़ता को बढ़ावा देना |
१४. जातिगत भेदभाव का उन्मूलन |
१५. सांस्कृतिक समरसता का विकास करना |
१६. भारतीय सांस्कृतिक परिवेश की वर्तमान में पुनर्स्थापना करना |
१७. पुरातन और नूतन का संगम |
१८. सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना |
१९. सांस्कृतिक आयोजनों को बढावा देना |
२०. संस्कृति संरक्षण हेतु सरकारी प्रयास |

—————————— — डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
Tag: लेख
7842 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अक्सर सच्ची महोब्बत,
अक्सर सच्ची महोब्बत,
शेखर सिंह
तुम ख्वाब हो।
तुम ख्वाब हो।
Taj Mohammad
चलिये उस जहाँ में चलते हैं
चलिये उस जहाँ में चलते हैं
हिमांशु Kulshrestha
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*ड्राइंग-रूम में सजी सुंदर पुस्तकें (हास्य व्यंग्य)*
*ड्राइंग-रूम में सजी सुंदर पुस्तकें (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
DrLakshman Jha Parimal
मौसम खराब है
मौसम खराब है
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
Ravi Betulwala
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
आँगन में एक पेड़ चाँदनी....!
singh kunwar sarvendra vikram
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
शिक्षा (Education) (#नेपाली_भाषा)
शिक्षा (Education) (#नेपाली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
ख़ान इशरत परवेज़
"बेचैनियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
Satish Srijan
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
Sunil Suman
💐अज्ञात के प्रति-142💐
💐अज्ञात के प्रति-142💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आखिरी उम्मीद
आखिरी उम्मीद
Surya Barman
"जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।
*Author प्रणय प्रभात*
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
मर्दों वाला काम
मर्दों वाला काम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2383.पूर्णिका
2383.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
अब तो आओ न
अब तो आओ न
Arti Bhadauria
झुंड
झुंड
Rekha Drolia
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
Loading...