भारतीयता
मानता हूँ इन्सान कमियों का पुतला है
अपने विचार से किसी को नीचा न दिखाएँ
धस जाओगे खुद उस दलदल में
जहाँ आपके विचार आपको पंहुचाये
वाणी और चेतन से सदा दूर करो
बिना अभिमान सबकी कमियों को
खुद को पाओगे सर्वश्रेष्ठ धरा पर
कभी नहीं रहोगे प्रगति पथ पर अवनत से
आओ मिलकर इस जीवन में हम
एक दुसरे का सन्मान करे
जिससे पल भर में हम
भारत और भारतीयता का परचम
विश्व में विद्यमान करे