Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2017 · 3 min read

भाई -बहन का प्यारा बंधन : रक्षाबंधन (लेख)

भाई-बहन का प्यारा बंधन : रक्षा बंधन
******************************

जी चाहे बारिश की स्याही,बनूँ कलम में भर जाऊँ।
मन के भाव पिरो शब्दों में,तुझको पाती लिख पाऊँ।।
नेह सरस हरियाली में भर, धानी चूनर लहराऊँ।
रेशम धागे राखी बन मैं,वीर कलाई इठलाऊँ।।

ग्रीष्म की तपिश से राहत दिलाता सावन जब धरा को छूता है तो हरित कांति से आच्छादित सारी सृष्टि लहलहाती उमंग भरे मन से हिलोरें लेती प्रेम में सराबोर हो जाती है।सावन का हर दिन पवित्रता की धूनी मल कर भक्तिमय हो जाता है। ऐसा लगता है मानो स्वर्ग से देवता धरती पर उतर कर महादेव की आराधना कर रहे हों। व्रत, हरियाली तीज, नागपंचमी रक्षाबंधन, हरितालिका तीज जैसे तीज -त्योहार , मेले -उत्सव ,मेंहदी ,गीत सावन को सर्वश्रेष्ठ मास बना देते हैं। एक ओर जहाँ बनी-ठनी सुहागन सजी-धजी प्रीतम की लंबी उम्र की कामना करती हैं वहीं दूसरी ओर श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना करती हुई उसकी रक्षार्थ कलाई पर रेशम की डोरी बाँधकर अपार खुशियाँ हासिल करती हैं। रक्षाबंधन के आगमन से पहले ही भाई की याद में एक से एक नायाब राखी खरीदने को आतुर बहनों के मन की मुराद पूरी करने और भाइयों की कलाई की खूबसूरती बढ़ाने के नज़रिये से बाज़ार की दुकानों की रौनक बहनों की खुशियों में चार-चाँद लगाती नज़र आती हैं।इस त्योहार की ख़ासियत है कि खून का रिश्ता न होने पर भी किसी गैर व्यक्ति की कलाई पर रक्षासूत्र बाँध कर बहनें उसे आत्मीय रिश्ते के अटूट बंधन में बाँध लेती हैं। इस तरह अनेकता में एकता का परिचायक भाईचारे का यह त्योहार हमें चित्तोड़ के राजा की विधवा रानी कर्णवती और मुगल सम्राट हुमायूँ की याद दिला देता है।मध्यकालीन युग में राजपूतों व मुगलों के बीच संघर्ष चल रहा था।तभी गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह की फौज के चितौड़ की ओर बढ़ने की खबर मिलने पर रानी कर्णवती ने खुद को बचाने के लिए राखी भेज कर हुमायूँ से मदद माँगी।रानी की राखी पाकर हुमायूँ ने उन्हें बहन का दर्जा देकर चित्तोड़ को सुरक्षा प्रदान की। ये बात अलग है कि हुमायूँ के पहुँचने से पहले ही रानी कर्णवती जौहर की ज्वाला में कूद कर सती हो गई थीं।राखी के कच्चे धागों में वो ईश्वरीय शक्ति है कि आपसी मन-मुटाव, लड़ाई-झगड़ा मिटा कर भाई -बहन समर्पित भाव से एक-दूजे के हो जाते हैं।आज भी जब राखी का पावन त्योहार आता है तो मेरे सामने कलाई बढ़ाए वो मासूम बालक अजय सिंह आकर खड़ा हो जाता है जिसका बड़ा भाई फौजी था और माँ सौतेली। बड़ा भाई देश की रक्षा के लिए सीमा पर लड़ता था तो मासूम अजय सिंह अपने भाई की वापसी का सपना सँजोए हालात से लड़ता था।प्रेम व आत्मीयता की भूख के कारण वह मुझे टकटकी लगाए देखता और नज़र मिलने पर मुस्कुरा देता। एक शाम वो मेरे साथ बैंडमिंटन खेलने नहीं आया ,पूछने पर पता चला कि उसे तेज बुखार है ,कल से उसने कुछ नहीं खाया है । मेरा जी कचोट कर रह गया । बंदिशों की बेड़ियों में बँधे होने के कारण उसको देखने भी नहीं जा सकी। तीन दिन बाद घर की बाउंडरी के पास लगे पेड़ों की आड़ से झाँकता एक चेहरा दिखाई पड़ा। मैं दौड़ कर गई ,देखा तो अजय था।इससे पहले की मैं उससे से कुछ पूछती उसने मेरी ओर कागज़ की गेंद फेंकी और तेज कदम बढ़ाता हुआ आँख से ओझल गया । मैंने देखा वो उसका ख़त था जिसमें लिखा था…”दीदी, मैं पढ़ना चाहता हूँ। कल हाई स्कूल का फॉर्म भरने की लास्ट डेट है । भैया के मनी ऑर्डर के सारे पैसे माँ रख लेती हैं।मैंने फीस के लिए रुपये माँगे तो उन्होंने मुझे जलती लकड़ी से मारा, बहुत दर्द हो रहा है।दीदी, मेरी फीस भर दो। जब कमाऊँगा तो सबसे पहले अपनी दीदी के लिए साड़ी लाऊँगा। मैं थोड़ी देर बाद आपसे मिलने आऊँगा। मेरी आस मत तोड़ना।” पत्र पढ़ते-पढ़ते आँखें छलछला आईं। मैंने अपनी पॉकेट मनी के रुपयों में से उसे ढ़ाई सौ रुपये दिए । खून के रिश्ते से बड़ा ये आत्मीयता का रिश्ता था जिसने हमें भाई-बहन के पावन रिश्ते में जोड़ दिया था। विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाते ,अपनेपन की गाथा कहते बहन-भाई के इस अद्भुत, अनूठे, अनुपम त्योहार”रक्षा बंधन की अनंत बधाई व शुभकामनाएँ !!! डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी (मो.-9839664017)

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 539 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
फितरत ना बदल सका
फितरत ना बदल सका
goutam shaw
*तू भी जनता मैं भी जनता*
*तू भी जनता मैं भी जनता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कसम है तुम्हें भगतसिंह की
कसम है तुम्हें भगतसिंह की
Shekhar Chandra Mitra
“सबसे प्यारी मेरी कविता”
“सबसे प्यारी मेरी कविता”
DrLakshman Jha Parimal
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
******शिव******
******शिव******
Kavita Chouhan
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
Ravi Prakash
प्रथम किरण नव वर्ष की।
प्रथम किरण नव वर्ष की।
Vedha Singh
गुमनाम मुहब्बत का आशिक
गुमनाम मुहब्बत का आशिक
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
Manisha Manjari
"लाल गुलाब"
Dr. Kishan tandon kranti
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ Rãthí
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
"होली है आई रे"
Rahul Singh
खिलाड़ी
खिलाड़ी
महेश कुमार (हरियाणवी)
मां
मां
Sanjay ' शून्य'
रण प्रतापी
रण प्रतापी
Lokesh Singh
66
66
*Author प्रणय प्रभात*
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
शिल्पी सिंह बघेल
मचले छूने को आकाश
मचले छूने को आकाश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
जब से मेरी आशिकी,
जब से मेरी आशिकी,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
शायद ये सांसे सिसक रही है
शायद ये सांसे सिसक रही है
Ram Krishan Rastogi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
घर जला दिए किसी की बस्तियां जली
घर जला दिए किसी की बस्तियां जली
कृष्णकांत गुर्जर
Jindagi ka kya bharosa,
Jindagi ka kya bharosa,
Sakshi Tripathi
जीवन सभी का मस्त है
जीवन सभी का मस्त है
Neeraj Agarwal
2432.पूर्णिका
2432.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सर्दी का उल्लास
सर्दी का उल्लास
Harish Chandra Pande
Loading...