तुम्हें खुशियों भरा आँगन,मुबारक हो मुबारक हो
तुम्हें खुशियों भरा आँगन,मुबारक हो मुबारक हो
बरसता नेह का सावन मुबारक हो मुबारक हो
कहीं ढोलक की हैं थापें, कहीं घुघरू की है रुनझुन
कहे ये झूम सबका मन ,मुबारक हो मुबारक हो
शरारत है हवाओं में, घुली मस्ती फिजाओं में
हुआ रिश्तों से घर रोशन,मुबारक हो मुबारक हो
सजा दूल्हे के सर सेहरा,सजी दुल्हन की भी डोली
घड़ी आई ये मनभावन, मुबारक हो मुबारक हो
यही है आरजू मेरी, यही है अब दुआ मेरी
महकता ही रहे उपवन, मुबारक हो मुबारक हो
डॉ अर्चना गुप्ता