Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2021 · 1 min read

भयभीत होकर

भयभीत होकर लिखते हो भय खा कर रहते हो । भयभीत होकर के तुम हमेशा जिंदगी जीते रहते हो। झूठे यस गानों से अपना नाम रोशन करते रहते हो। परिचय कैसे देते हो और कैसे परिचय लेते हो। सच्चाई से हमेशा डरते रहते हो अपराधियों के बीच में तुम हमेशा लाश बनकर रहते हो। लेकिन सब जीवो के तुम सरताज बनते रहते हो। अपनी पहचान बनाने को हमेशा लाइन में लगे रहते हो। क्या कर्म है आपका क्या धर्म है आपका बस इसी उलझन में हमेशा लगे रहते हो।

Language: Hindi
1 Like · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम चाहो तो मुझ से मेरी जिंदगी ले लो
तुम चाहो तो मुझ से मेरी जिंदगी ले लो
shabina. Naaz
टिकट नहीं रहा (हास्य-व्यंग्य)
टिकट नहीं रहा (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
Chalo khud se ye wada karte hai,
Chalo khud se ye wada karte hai,
Sakshi Tripathi
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
2793. *पूर्णिका*
2793. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
Phool gufran
आलाप
आलाप
Punam Pande
अभी दिल भरा नही
अभी दिल भरा नही
Ram Krishan Rastogi
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ख़्वाब आंखों में टूट जाते है
ख़्वाब आंखों में टूट जाते है
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
"चाँद चलता रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
बच्चे का संदेश
बच्चे का संदेश
Anjali Choubey
उम्मीदों के आसमान पे बैठे हुए थे जब,
उम्मीदों के आसमान पे बैठे हुए थे जब,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अस्मिता
अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
दिन आज आखिरी है, खत्म होते साल में
gurudeenverma198
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में
शिव प्रताप लोधी
दुआ
दुआ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
Pravesh Shinde
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण
Pratibha Pandey
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
Atul "Krishn"
वही पर्याप्त है
वही पर्याप्त है
Satish Srijan
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
विश्व कप लाना फिर एक बार, अग्रिम तुम्हें बधाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
जीवन का एक और बसंत
जीवन का एक और बसंत
नवीन जोशी 'नवल'
" तुम्हारे इंतज़ार में हूँ "
Aarti sirsat
Loading...