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16 Jun 2020 · 1 min read

भजन

भजन
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हे रघुनंदन हे घनश्याम
सुन लो हमारी अर्जी भगवान
तुम ही हो प्रजा पालक
तुम ही हो आधार
हे रघुनंदन हे घनश्याम।।

चित चितवन में सारे भुवन में
होता है तेरा गुणगान
तुम ही नयन में भोर किरन में
तुम ही हो आसार
हे रघुनंदन हे घनश्याम।।

दुखियों के तुम दुख मिटाते
तुम हो कृपा निधान
भवसागर से पार लगाते
तुम ही हो खेवनहार
हे रघुनंदन हे घनश्याम।।

जड़ चेतन में जन जीवन में
तुम ही हो अंतर्ध्यान
कण-कण में हर क्षण में
तुम ही हो संसार
हे रघुनंदन हे घनश्याम।।

प्रियतम भी तुम प्रेमी भी तुम
प्रीत की है तुमसे पहचान
सुर भी तुम सरगम भी तुम
तुम हीं हो जीवन श्रृंगार
हे रघुनंदन हे घनश्याम। ।

———————————————–
“सत्येन्द्र प्रसाद साह(सत्येन्द्र बिहारी) “

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 592 Views
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