Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2020 · 3 min read

भगवान भरोसे!

चलो भाई राम भरोसे,
राम भरोसे,राम भरोसे,
कभी सुना था ये गाना,
इतने वर्षों बाद याद दिलाया,
निर्मला सीतारमण ने यह तराना।

अर्थ व्यवस्था जो बेजार है,
भगवान इसका जिम्मेदार है,
उसने ही यह हालात बनाए,
हम इसमें क्या कर पाएं ।

अर्थशास्त्री सोलह से बता रहे थे,
किन्तु यह तब मान कहां रहे थे,
तब दोषी ठहराने को कोरोना नहीं था,
तो दोषी बतलाने को ओला उबर था।

हालात इतने खराब हो गये हैं,
यह इसे कहां बता रहे हैं,
यह स्वीकारोक्ति भी रिजर्व बैंक से आई,
जिसने अब यह बात बताई।

मंत्री महोदया ने तो भगवान पर ठिकरा फोड़ दिया,
राज्यों को जी एस टी का हिस्सा देना छोड़ दिया,
एक देश एक राष्ट्र का,कर वसूलना काम नहीं आया,
राज्यों को ऋण लेकर जाने को कहा।

यही हाल अपने रक्षामंत्री जी का भी है,
कहने को कहते हुए कुछ बनता नहीं है,
चीन ने सीमाओं का अतिक्रमण किया है,
सैनिकों ने भी अपना बलिदान दिया है,
लेकिन मुखिया जी ने यह बोल रखा है,
किसी ने भी अपनी सीमाओं का उलंघन नहीं किया है,
अब रक्षामंत्री जी कैसे यह कह पाएंगे,
चीनियों ने हमारी भूमि पर कब्जा किया है,
इस लिए वह खामोश रह कर समय बिता रहे हैं,
अशांत भावनाओं को समेटे शांत नजर आ रहे हैं।

जयशंकर भी कहां आकर फंस गए हैं,
जब तक नौकरशाह थे, तब तक ही ठीक थे,
अब मंत्री बनकर सिकुड़ से गये हैं,
विदेशों से तो चर्चा मुखिया जी ही कर रहे हैं,
इन्हें तो मुखिया जी की डील ही दोहरानी होती है,
अपनी राय जाहिर करने की, जरुरत ही नहीं पड़ी है,
पुछने पर गोल-मटोल कह कर निकल पड़ते हैं,
निर्विकार भाव में ही दिखाई पड़ते हैं।

गृह मंत्री जी के तो कहने ही क्या है,
जब से पदभार संभाला है,
विरोधियों के निशाने पर चल रहे हैं,
काश्मीर पर इतना कुछ किया है,
तीन सौ सत्तर से मुक्त किया,
पूर्ण राज्य को केन्द्र शासित किया,
एक को तोड कर,दो में बांट दिया,
आंतकवाद को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया,
नागरिकता कानून को लेकर आए,
इस पर लोग शोरगुल मंचाए,
दिल्ली को दिल्ली में रह कर भी ना जीत पाए,
नमस्ते ट्रंप भी काम नही आया,
दिल्ली में दंगा और गले पड़ आया,
अब यह भी कसर बाकी रह गई थी,
जो कोरोना की नजर इन पर आ पड़ी थी,
एक नहीं दो-दो बार अटैक किया है,
विरोधियों से इसका कोई पैक्ट हुआ।

नितिन गडकरी एक नाम है,
जो करता दिखता कुछ काम है,
औरौं के कहने करने को कुछ बचा नहीं,
अपने महकमे में कहीं दिखते नहीं,
हां मुखिया की बातों को रट रखा है,
राहुल के कुछ कहने पर झपट रहा है,
जैसे यही काम इनके जिम्मे है,
बाकी के कामों में निकम्मे हैं।

अच्छे दिन तो निशंक जी के आए हैं,
नई शिक्षा नीति यह लाए हैं,
अब प्रतियोगी परीक्षा कराने जा रहे हैं,
नौजवानों, बच्चों में उमंग ला रहे हैं,
घर पर बैठे-बैठे उब गये थे,
इस बहाने से घर से बाहर जा रहे हैं।

जो अच्छा हुआ,वह हमने किया,
जो पहले किया गया वह सब ग़लत था,
इसका दोषी और कोई नहीं,
कांग्रेस में जमा नेहरू परिवार था,
और अब जो गलत हो रहा है,
वह तो भगवान का कोप है,
इसमें हमारा नहीं कोई दोष है।।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 448 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
"अकेला"
Dr. Kishan tandon kranti
You're going to realize one day :
You're going to realize one day :
पूर्वार्थ
बाँध लू तुम्हें......
बाँध लू तुम्हें......
Dr Manju Saini
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
జయ శ్రీ రామ...
జయ శ్రీ రామ...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*****वो इक पल*****
*****वो इक पल*****
Kavita Chouhan
रदुतिया
रदुतिया
Nanki Patre
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
_सुलेखा.
"चुनावी साल"
*Author प्रणय प्रभात*
बाल वीर दिवस
बाल वीर दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बाट का बटोही ?
बाट का बटोही ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हो गया तुझसे, मुझे प्यार खुदा जाने क्यों।
हो गया तुझसे, मुझे प्यार खुदा जाने क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
आओ प्रिय बैठो पास...
आओ प्रिय बैठो पास...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-278💐
💐प्रेम कौतुक-278💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक बधाई व अनन्त शुभकामनाएं
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक बधाई व अनन्त शुभकामनाएं
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
डीजे
डीजे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अगर कभी किस्मत से किसी रास्ते पर टकराएंगे
अगर कभी किस्मत से किसी रास्ते पर टकराएंगे
शेखर सिंह
कुछ लोग
कुछ लोग
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
लोग गाली देते हैं,👇👇👇👇👇
लोग गाली देते हैं,👇👇👇👇👇
SPK Sachin Lodhi
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
Sanjay ' शून्य'
2256.
2256.
Dr.Khedu Bharti
"दोस्ती क्या है?"
Pushpraj Anant
क्या अब भी तुम न बोलोगी
क्या अब भी तुम न बोलोगी
Rekha Drolia
परोपकार का भाव
परोपकार का भाव
Buddha Prakash
लौट कर फिर से
लौट कर फिर से
Dr fauzia Naseem shad
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
जून की दोपहर (कविता)
जून की दोपहर (कविता)
Kanchan Khanna
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
DrLakshman Jha Parimal
Loading...