बड़ा भाई
बड़े भाई से चाहिए,
मार्गदर्शन और निर्मल व्यवहार ।
गलतियों को माफकरे,
करे संतान जैसा प्यार ।
डांटे-फटकारे उम्र भर
करे बिना अहम के वार ।
धूप में छाया बने
छाया में बने शीतल बयार ।
खाना सीखा आप से
ऊँगली पकड़ी पहली बार ।
पहली स्मृति माँ-बाप की
ताके बाद सहोदर का साथ ।
मैं नाही लखन नाही भरत
ना चाहूँ तुम बन जाओ श्रीराम
गुस्सा करों, दंड दो
ना रखो बैर-भाव और मनमुटाव ।
इत्तफ़ाक नही है समय का
और ना कोई दुर्भाग्य ।
पूर्वाद्ध के ये कर्म है
मिला तभी साथ का सौभाग्य।।
है कुछ समय की भागदौड़
है कुछ समय का साथ ।
पाँच तत्व का तथ्य है
जिसका अंतिम एक परिणाम ।।
जो लिया सब छोड़ना,
जो छोड़ा वही मिलेगा उस पार ।
तत्व मिलेगा धूल में,
आगे चलता रहेगा व्यवहार ।।
एक मनुष्य से दो हुए,
दो – दो से बना संसार ।
रिस्ते बने सम्बंध बने
और बना एक परिवार ।।