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20 Nov 2018 · 1 min read

बोलो तुम भी उदास थे क्या

मेरी तरह वफा तुम मेरे ही पास थे क्या|
मुझसे बिछड़के बोलो तुम भी उदास थे क्या|
++
यादों में आके मुझसे करते थे गुफ्तगू तुम,
तन्हाइयों के वो पल तुमको भी रास थे क्या|
++
बरसात की तपिस में झुलसा बदन तुम्हारा,
सूखे लबों पे काबिज हम ही वो प्यास थे क्या|
++
बैचेन थी नजर बस दीदार को तुम्हारे ,
रिश्तों की भीड़ में हम तुमको भी खास थे क्या|
++
भूले न हों कहीं वो आतीं न हिचकियां हैं,
ऐसे तुम्हारे दिल में उठते कयास थे क्या|
++
आवाज से यकायक आते थे होश में हम,
हाथों तुम्हारे अक्सर टूटे गिलास थे क्या|
++
रिमझिम हुईं ‘मनुज’ उन अश्कों की बारिसों में,
मेरी तरह तुम्हारे भींगे लिबास. थे क्या|

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