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15 Nov 2017 · 1 min read

बोध कैसे जगे !

मैं बोलता हूँ….!
लोग भड़क जाते हे !
शताब्दियों से सोए है !
जागरण का नाम नहीं !

पाखंड है मृत कपि-ललाट,
विश्वास नहीं होता,
पकड़े हो खुद से ..!
छोड़ना भी तुम्हें पड़ेगा..!

आप्त-वचन नहीं आपके !
तराशने पड़ेंगे !
लिखा हुआ तो बहुत है !

दो कदम चलना पड़ेगा !
अपने साथ !
भूख है तो खा लेना !
नींद है तो सो लेना !

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 449 Views
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