बेहाल दिल
आपके तसव्वुर में खूब दिल मचलता है
आह निकलती दिल जोर से धड़कता है
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दूरियां न जीने दे पास अब तो आजा तू
आरजू़ मिलन की है शोला सा भड़कता है
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लाख दिल को समझाऊँ बात कुछ न माने है
खोया – खोया रहता है ये नही बहलता है
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बैठ जाऊँ उठ कर के सोते – सोते अक्सर ही
ख़ाब में वो आकर के हाथ जब पकड़ता है
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इश्क़ ने हमारा तो हाल ऐसा कर डाला
चश्म खूं बहाती है जिस्म भी अकड़ता है
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आज हम तड़प करके कह रहे यही “प्रीतम”
जिसने दिल लगाया वो उम्र भर तड़पता है
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???प्रीतम राठौर???
श्रावस्ती ( उ० प्र० )
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