Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2020 · 1 min read

बेवफाई

वे प्यार के पंखों को कुतरने लगे।
दिल के अरमान सारे बिखरने लगे।

कल तक दिल के नजदीक थे उनके,
अचानक ही हम इतना खटकने लगे।

वो खुद ही दूर होने लगे हमसे,
और कहते हैं हम ही बदलने लगे।

हमने रस्में वफ़ा को निभाना चाहा,
पर हर बात पर ही वो बिफरने लगे।

हम आज तक उन्हीं पर मरते रहे,
वो किसी और के ऊपर मरने लगे।

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 6 Comments · 443 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*
*परसों बचपन कल यौवन था, आज बुढ़ापा छाया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वो इश्क़ कहलाता है !
वो इश्क़ कहलाता है !
Akash Yadav
दोहे-मुट्ठी
दोहे-मुट्ठी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐अज्ञात के प्रति-127💐
💐अज्ञात के प्रति-127💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
मौन संवाद
मौन संवाद
Ramswaroop Dinkar
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
पूर्वार्थ
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
Manisha Manjari
समय आयेगा
समय आयेगा
नूरफातिमा खातून नूरी
वेदना ऐसी मिल गई कि मन प्रदेश में हाहाकार मच गया,
वेदना ऐसी मिल गई कि मन प्रदेश में हाहाकार मच गया,
नव लेखिका
लालच
लालच
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
Dushyant Kumar Patel
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
शेरे-पंजाब
शेरे-पंजाब
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बारिश
बारिश
विजय कुमार अग्रवाल
क्या बचा  है अब बदहवास जिंदगी के लिए
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कितने बेबस
कितने बेबस
Dr fauzia Naseem shad
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
Shashi kala vyas
-- मौत का मंजर --
-- मौत का मंजर --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
अंधेरे आते हैं. . . .
अंधेरे आते हैं. . . .
sushil sarna
प्रेमचंद के उपन्यासों में दलित विमर्श / MUSAFIR BAITHA
प्रेमचंद के उपन्यासों में दलित विमर्श / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
■ धर्म चिंतन...【समरसता】
■ धर्म चिंतन...【समरसता】
*Author प्रणय प्रभात*
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
Arvind trivedi
निज धर्म सदा चलते रहना
निज धर्म सदा चलते रहना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
विद्याधन
विद्याधन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
DrLakshman Jha Parimal
लागो ना नज़र तहके
लागो ना नज़र तहके
Shekhar Chandra Mitra
बदल चुका क्या समय का लय?
बदल चुका क्या समय का लय?
Buddha Prakash
Loading...