बेवफाई की है तुमने
किया था है तुमने
मेरी मोहब्बत का इम्तेहान लिया है तुमने,,,
मेरे हँसते हुए चेहरे को रुलाया है आज तुमने,,,
तुमसे की मोहब्बत का यही सिला मिलना था क्या मुझको,,,,,
हर घड़ी के मेरे इन्तेजार को खत्म किया है आज तुमने।
सोचा था कदम से कदम मिलाकर साथ चलोगे,,,,
एक ही कदम में आज दामन अपना छुड़ाया है तुमने,,,,,,
गीले और शिकवे तुमसे नही करना मुझें,,,,,
आज सारी दुनिया मे अपनी मोहब्बत से बेवफाई की है तुमने,,,।।।
मिले थे हम नदियों की धारा ओ के किनारे,,,,,,,
पता है रेत में सपनो घर अपना बनाया था तुमने,,,
हाथो में हाथ रख मेरे न जाने कितने वादों को दिल सुनाया था तुमने,,,,,
आज उन्ही वादों को तोड़कर दिल से मेरी यादों का जनाज़ा निकाला है तुमने।।।
घुटन होने लगी है जिंदगी से अब मुझको सुनो न,,,
करीब आकर मेरी धड़कन को बढ़ाया था तुमने,,,,
वीरान पड़ा था मेरा दिल का बग़ीचा,,,,
पास आकर अपनी मोहब्बत का फूल उसमे खिलाया था तुमने।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मंदसौर
मोबाइल नंबर 7772931211